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आज तीन अप्रेल था और हमें थिम्पू भ्रमण करना था। सुबह आठ बजे सभी तैयार होकर नाश्ते की टेबिल पर आ गए। नाश्ता करने के बाद सब थिम्पू भ्रमण के लिए चल दिए। सबसे पहले थिम्पू जोंग देखा गया। यह भव्य इमारत है। इसका निर्माण 1629 में नावांग नामग्याल ने करवाया था। इस भवन में चारों तरफ़ गलियारा है और अन्य इमारते बौद्ध भिक्षुओं के निवास के लिए बनाई गई हैं। भूटान की आबादी का 75% बौद्ध धर्म को मानने वाला है तथा 25% हिन्दु हैं जो सनातन धर्म को मानते हैं। यहां बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा का प्रभाव अधिक दिखाई देता है। मैं गत वर्ष भी भूटान भ्रमण के लिए आया था। उस दौरान भी भूटान को देखा और महसूस किया।
आज तीन अप्रेल था और हमें थिम्पू भ्रमण करना था। सुबह आठ बजे सभी तैयार होकर नाश्ते की टेबिल पर आ गए। नाश्ता करने के बाद सब थिम्पू भ्रमण के लिए चल दिए। सबसे पहले थिम्पू जोंग देखा गया। यह भव्य इमारत है। इसका निर्माण 1629 में नावांग नामग्याल ने करवाया था। इस भवन में चारों तरफ़ गलियारा है और अन्य इमारते बौद्ध भिक्षुओं के निवास के लिए बनाई गई हैं। भूटान की आबादी का 75% बौद्ध धर्म को मानने वाला है तथा 25% हिन्दु हैं जो सनातन धर्म को मानते हैं। यहां बौद्ध धर्म की वज्रयान शाखा का प्रभाव अधिक दिखाई देता है। मैं गत वर्ष भी भूटान भ्रमण के लिए आया था। उस दौरान भी भूटान को देखा और महसूस किया।
थिम्पू जोंग |
यहां से हम लोग विश्व की शाक्यमुनि पद्म संभव (द्वितीय बुद्ध) की सबसे ऊंची प्रतिमा के दर्शन करने पहुंचे। जब हम इस स्थान पर पहुंचे तो सूर्य शीर्ष पर था, यह स्थान पर्वत शीर्ष होने के कारण सूर्य की किरणें सीधी पड़ रही थी। हालत यह थी कि सूर्य की चमक से आँखे खोलने में भी कठिनाई हो रही थी। ऐसे समय में सबसे मुझे अपना गॉगल याद आया। मैने बैग से गॉगल निकालकर पहना तभी यहाँ कुछ देख पाया। यहाँ भूटान का सबसे बड़ा निर्माण कार्य चल रहा है। मुझे नहीं लगता कि इससे बड़ी किसी परियोजना पर भूटान में कोई काम हुआ होगा। यहाँ पहुंचकर ग्रुप फ़ोटो लेते तक गर्मी के कारण सबकी हालत खराब हो गई।
शाक्य मुनी द्वितीय बुद्ध |
थिम्पू से 12 किमी चलकर एक पहाड़ी के शीर्ष पर बुद्धा दोरदेन्मा निर्मित किया गया है। इसके निर्माण का संकल्प बीसवीं सदी के योगी सोनम जांग्पो ने किया था। उसने भविष्यवाणी की थी कि इस स्थान पर शाक्यमुनि पद्म संभव (द्वितीय बुद्ध) की इतनी ऊंची प्रतिमा का स्थापित होती जो यहाँ से सारे विश्व में शांति एवं मैत्री का संदेश देगी। इस संकल्प के साथ 169 फ़ुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का निर्माण प्रारंभ हुआ तथा चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक के साठवें जन्म दिन 25 सितम्बर 2015 को सम्पन्न किया गया। इस दिन को उत्सव के रुप में मनाया गया।
शाक्य मुनी द्वितीय बुद्ध के समक्ष हम हिन्दुस्तानी दल |
इस प्रतिमा के निर्माण में 47 लाख अमेरिकन डॉलर खर्च हो चुके हैं। इस प्रतिमा के नीचे बनाए गए हॉल में बुद्ध की स्वर्ण मंडित आठ इंच की एक लाख प्रतिमाएँ एवं बारह इंच की पचीस हजार प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी तथा इस हॉल को ध्यान एवं साधना केन्द्र के रुप में भी विकसित किया जा रहा है। इस स्थान के विकास में 100 लाख अमेरिकी डॉलर खर्च करने की योजना है। इस प्रतिमा का निर्माण नानजिंग चीन की कम्पनी एरोसुन कार्पोरेशन द्वारा किया जा रहा है। इसके समस्त भागों को चीन में बनाकर यहाँ लाकर जोड़ा गया है।
बुद्धा टॉप पर गरुड़ |
बौद्ध परम्पराओं से संबंधित देवियों को चारों तरफ़ मैदान में स्थापित किया गया है। निर्माण कार्य बहुत ही उम्दा हुआ है और प्रतिमाओं को बारीकी से घड़ा गया है। मुख्य प्रतिमा शाक्यमुनि पद्म संभव को भू-स्पर्श मुद्रा में दिखाया गया है। इनकी आँखे बहुत ही सुंदर बनाई गई है। देखकर ही लगता है कि प्रतिमा अभी बोल उठेगी। प्रतिमा को स्वर्ण मंडित किया है, जिससे खुले में मौसम का असर न हो। वरना कांस्य पर मौसम का असर होता है।
बौद्ध देवी तारा |
इसके समक्ष लगभग 900 एकड़ में बगीचा बनाने की योजना है, इसके निर्माण में अभी समय लगेगा। जब बगीचा बन जाएगा तो यह स्थान स्वर्ग से कम दिखाई नहीं देगा। यहाँ से थिम्पू शहर का एरियल व्यू भी देखा जा सकता है। यहां से थिम्पू शहर चू के दोनो तरफ़ बसा हुआ बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। थिम्पू शहर के मैने कुछ चित्र लिए। इस स्थान का निर्माण योगी सोनम जांग्पो के अनुयाइयों ने किया है, इसमें सरकार का धन नहीं लगा है। जारी है आगे पढें…
बहुत सुन्दर - सुन्दर चित्र व बड़ी बारीकी से शाक्य मुनि व इस प्रतिमा के नीचे बनाए गए हॉल में बुद्ध की स्वर्ण मंडित प्रतिमाओं का वर्णन किया है आपने। बहुत- बहुत आभार इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए
जवाब देंहटाएंशानदार यात्रा
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