गुरुवार, 7 जनवरी 2010

सफलता कैसे मिले?

प्रत्येक व्यक्ति की सफलता के पीछे किसी न किसी का हाथ होता है ऐसा कहा जाता है. लेकिन भीतर की दृढ इच्छा शक्ति हो बिना किसी के सहयोग के भी सफलता मिल सकती है. 

संसार आज जिन महापुरुषों का नाम लेता है उनकी सफलता के पीछे भी उनकी स्वयं की दृढ इच्छा शक्ति और आत्मविश्वास ही  है. 

एक अंग्रेजी की कहावत में कहा गया है कि- इच्छा शक्ति ही हमें मेहनत के लिए प्रेरित करती है और परिश्रम से आत्म विश्वास बढ़ता है. 

महात्मा गाँधी, अब्राहम लिंकन, जेम्स वाट, नेपोलियन बोना पार्ट, एकलव्य आदि अपनी इच्छा शक्ति के दम पर ही सफल हो सके. संकल्प जितने दृढ होंगे व्यक्ति कार्य को उतनी ही सफलता पूर्वक करेगा. 

इच्छा शक्ति के अभाव में अनेक तरह की कठिनाईयां सामने आती हैं तो उनका हाल निकालने में समस्या पैदा हो जाती है. मन में तरह तरह की शंकाएं पैदा हो जाती हैं.

लक्ष्य को बार-बार बदलना, छोटी-छोटी कठिनाईयों से घबरा जाना, हीन भावना से पीड़ित होना, निर्णय लेने की क्षमता का अभाव होना आदि निर्बल इच्छा शक्ति के दुष्परिणाम हैं. 

जो व्यक्ति दृढ निश्चयी है वह अपने लक्ष्य पर अडिग रहता है.  कोई भी कठिनाई या बढा आये उसे सहजता से स्वीकार कर दूर करने की कोशिस करता है और सफलता भी मिलती है.

दृढ इच्छा शक्ति के साथ सकारात्मक सोच होना भी सफलता के लिए आवश्यक है अन्यथा इसके अभाव में व्यक्ति गलत निर्णय ले बैठता है. 

सकारात्मक शोच व्यक्ति को आगे बढ़ाने में सहायक होती है यह  मार्ग में आई कठिनाईयों, भाधाओं को दूर करके व्यक्ति के अन्दर नयी शक्तियों का संचार करती है. साथ -साथ पथ प्रदर्शन भी करती है.

एक बार नेपोलियन की सेना आगे बढ़ते हुए जा रही थी कि बीच में यूरोप की उच्चतम पर्वत श्रेणी "एल्प्स" आ गई. सैनिक थोड़े ठिठके ही थे कि पीछे से नेपोलियन की आवाज आई "एल्प्स" है ही नहीं. 

नेपोलियन की आदमी इच्छा शक्ति ने सैनिकों की मनोवृत्ति को बदल दिया. देखते ही देखते सेना एल्प्स को पार कर गई. नेपोलियन कहा भी करते थे कि असंभव कुछ भी नहीं. असंभव शब्द मूर्खों के शब्द कोष में है.

इच्छा शक्ति दृढ हो तो असंभव-सा प्रतीत होने वाला कार्य  भी संभव हो जाता है. प्रारंभ में व्यक्ति छोटे-छोटे संकल्प ले और उसे पूरा करे. चाहे संकल्प रोज दो घंटे पढने का ही क्यों ना हो. 

आप अपनी योग्यता, क्षमता, तथा इच्छा के अनुरूप संकल्प लें सफलता अवश्य ही आपके कदम चूमेगी.  

8 टिप्‍पणियां:

  1. "लक्ष्य को बार-बार बदलना, छोटी-छोटी कठिनाईयों से घबरा जाना, हीन भावना से पीड़ित होना, निर्णय लेने की क्षमता का अभाव होना आदि निर्बल इच्छा शक्ति के दुष्परिणाम हैं. जो व्यक्ति दृढ निश्चयी है वह अपने लक्ष्य पर अडिग रहता है. कोई भी कठिनाई या बढा आये उसे सहजता से स्वीकार कर दूर करने की कोशिस करता है और सफलता भी मिलती है."

    सत्यवचन!

    बहुत ही प्रेरणादायक लेख!!

    यह भी याद रखें

    "प्रत्येक सफल व्यक्ति की एक कष्टमय कहानी होती है और प्रत्येक कष्टमय कहानी का एक सफल अंत होता है।"

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  2. बहुत बढिया , ज्ञान वर्धक लेख लगा । बधाई

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  3. जबरदस्त फोटो संग ज्ञानवर्धक लेख ललित जी !

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  4. इच्छा शक्ति दृढ हो तो असंभव-सा प्रतीत होने वाला कार्य भी संभव हो जाता है.

    बिलकुल सही कहा , ललित जी।
    हम तो इसका अनुभव कर चुके हैं।
    अच्छा लेख।

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  5. बहुत विचारोत्तेजक लेख है भाई.


    मेजर साहब को सैल्यूट करते है. बढिया फोटू.

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  6. आपका हर लेख समृद्ध करता है पाठकों को ..
    बस आप हम सबकी इच्छाशक्ति को यूँ ही मजबूत करते रहें ..
    आपने क्या सटीक प्रयोग किया है --- '' ... आदमी इच्छा शक्ति ''
    हम तो यहीं ठहर गए ... आभार ,,,

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  7. बहुत प्रेरणादायक ... बहुत दिन के बाद अचानक आपका ब्लॉग खुल गया ... खुश हूँ बहुत
    कुछ लाइनें आपकी नज़र -

    निज अतीत को भूल न कर
    भावी पर ध्यान लगाता है
    वर्तमान में जीने वाला
    जीवन का सुख पाता है

    यूँ तो सच है ठोकर खा कर
    ही इंसान सम्हालता है
    औरों के सीने पर चढ कर
    आगे और निकलता है
    पर जो ठोकर खा कर के भी
    स्वयं सम्हालता जाता है
    साथ लिए निबलों विकलों को
    स्वतः लक्ष्य को पाता है
    सपनों में मत जियो
    आँख को खोलो
    सच को पहचानो
    क्यों जीवन है अपना
    क्या है लक्ष्य हमारा
    ये जानो
    जो जीवन भर आँख मूँद कर
    भाग्य भाग्य चिल्लाता है
    अंत समय में सब कुछ खो कर
    हाथ मसल पछताता है

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