विगत दो-तीन दिनों से मैने निरुपमा की ऑनर किलिंग पर कई पोस्ट पढी, जिसमें उसके पिता और परिवार की भर्तसना की गयी है और हत्या जैसे कृत्य की भर्तसना करनी भी चाहिए,
रही बात सजा देने की, तो यह काम कानून का है कि अपराधी का अपराध सिद्ध होने पर उसे दंड दे।
रही बात सजा देने की, तो यह काम कानून का है कि अपराधी का अपराध सिद्ध होने पर उसे दंड दे।
एक माता पिता बच्चे के जन्म से लेकर उसके योग्य होते तक परवरिश करते हैं, उसे संसार की अच्छी-अच्छी शिक्षा, वस्त्र, एवं अन्य आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराते हैं।
हमेशा ध्यान रखते हैं कि बच्चे को कोई तकलीफ़ ना हो, उसका कैरियर अच्छे से बन जाए, वह अपने पैरों पर खड़ा हो जाए।
उनके प्यार में किसी तरह की कमी नहीं होती। अपना पेट काट कर, अपनी इच्छाओं का दमन कर बच्चे का भविष्य बनाते हैं।
किसी भी माता-पि्ता या परिवार के लिए अपने बच्चे की हत्या करने का निर्णय लेना आसान काम नहीं है।
बहुत ही कठिन है। उन्हे भी पता है कि इस कृत्य से पूरा परिवार तबाह होने वाला है। फ़िर भी वह जघन्य हत्या जैसा निर्णय ले लेता है।
अपने जिगर के टुकड़े के टुकड़े-टुकड़े कर डालता है।बस यही एक प्रश्न मुझे मथ रहा है।वे कौन सी परिस्थितियाँ होती हैं, जो इन्हे अपने ही बच्चे की हत्या जैसा जघन्य अपराध करने को बाध्य करती हैं? इसका उत्तर पाठकों से चाहता हुँ।
... बहुत मार्मिक, बेहतरीन, प्रसंशनीय विषय पर पोस्ट लगाई है !!... उत्तर बाद में ... अभी समय का अभाव है !!!
जवाब देंहटाएं@'उदय'
जवाब देंहटाएंमुझे आपसे उत्तर की अपेक्षा है, समय निकालकर अपना मंतव्य वयक्त करें
'स्व' सबसे प्यारा होता है। 'स्व' का आधार कुछ भी हो सकता है - समाज की मान्यताएँ भी, सही ग़लत अपनी जगह। जब अपने पर आती दिखती है या आती है तो मनुष्य क्या हर प्राणी अपने को बचाता है। .. जाने क्यों अकबर बीरबल वाली वह कहानी याद आ गई जिसमें एक बन्दरिया को उसके बच्चे के साथ सूखे कुएँ में डाल दिया गया और फिर धीरे धीरे पानी भरा गया। शुरू में तो बन्दरिया ने बच्च्रे के साथ बाहर निकलना चाहा लेकिन जब स्थिति भयानक हुई तो बच्चे को फेंक कर कोशिश करने लगी. .
जवाब देंहटाएंउपनिषद का वह संवाद भी याद आ रहा है। पुत्र, पुत्री ..सब कुछ आत्म के लिए प्यारे होते हैं ... विद्वान लोग मीमांसा कर सकते हैं। मैं तो कल से ही हजारो हजार प्रश्नों से जूझ रहा हूँ।
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जवाब देंहटाएंसमाज में जो लोग सत्य,सामाजिकता और ईमानदारी के प्रति लगाव को खत्म करने का काम कर रहें हैं / ये घटना ऐसे ही लोगों के साजिश का परिणाम है /
जवाब देंहटाएंचाहे कैसी भी विषम परिस्थितयां क्यों न हो मैं तो एक बाप होने के नाते अपने बच्चो की हत्या का निर्णय सपने में भी नहीं ले सकता |
जवाब देंहटाएंललित भाई ... अगर इजाजत हो तो हम भी इसी विषय पर कुछ लिख कर भेज देते हैं आप अपने ब्लाग पर ... अच्छा लगे तो पोस्ट कर देना !!!
जवाब देंहटाएं... इस विषय पर ताबड-तोड लिखने की जरुरत है !!!
जवाब देंहटाएं... वो आप कहते हो न बाजा फ़ाड दिया श्याम भाई ... बिलकुल आप भी बाजा/डोल फ़ोड डालो ... जय जय छत्तीसगढ ... मिलते हैं ब्रेक के बाद ...!!!
जवाब देंहटाएंकैसी भी परिस्थियाँ परिभाषित कर दी जायें, यह बात गले उतरने का सवाल ही नहीं.
जवाब देंहटाएंवैसे बहुत ही विकट परिस्थितियाँ ही ऐसा करने पर मजबूर करती है, मुश्किलों से उबर सकते है लेकिन बहुत से लोगों में आत्मविश्वास खो जाता है . जो इंसान खुद से हार जाता है वो ही ऐसे निर्णय लेता है. ये १ बड़ा कारण है, और भी बहुत से कारण है
जवाब देंहटाएंकेवल अशिक्षा और हमारी सड़ी गली मान्यताएं ललित भाई ! नासूर हैं हमारे समाज में यह !
जवाब देंहटाएंभाई साहब , लिव इन रिलेशनशिप मान्य है इस देश में, अब तो बस यह आशीर्वाद देना आप भी सीख लीजिये ;
जवाब देंहटाएं"भगवान् करे आपकी कुंवारी बेटी आपको जल्दी खुशखबरी दे !"
ललित जी, मैं तो अपने बच्चे तो देखे बिना भी नहीं रह सकता। दफ्तर घर से ज्यादा दूर नहीं है, इसलिए कई बार जब उसकी याद आती है तो मैं घर चला जाता हूं। मुझे लगता है कि हर माता-पिता अपने बच्चे से इतना ही प्यार करते होंगे।
जवाब देंहटाएं...इसलिए मेरी छोटी सी बुद्धि में यह बात नहीं आती कि कोई माता-पिता इतने क्रूर कैसे हो सकते हैं।
उदय जी की पोस्ट का इंतजार है
जवाब देंहटाएंभाईजी !
जवाब देंहटाएंपरिस्थितियां कैसी भी विकट क्यों न हों, कभी शाश्वत नहीं होतीं...........
परन्तु उन परिस्थितियों में उठाये गये कदमों का परिणाम सदैव स्थाई होता है इसलिए ऐसे जघन्य परिणाम देने के पहले अगर थोड़ा विचार कर लिया जाये तो कोई भी माँ बाप अपनी संतान की हत्या जैसा क्रूर कृत्या नहीं कर सकता
बड़ा दुःख हुआ इस प्रसंग को जान कर...........
हत्या जैसा जघन्य अपराध कोई कर कैसे सकता है यह मेरी भी समझ से परे है चाहे वह बच्चे का हो या किसी बड़े की. हत्यारा मनुष्य की श्रेणी में तो आ नहीं सकता. वह नरपिचाश ही कहला सकता है. और फिर अपने बच्चे की ----- उफ
जवाब देंहटाएंअजी कोई भी मां बाप ऎसी बाते सोच भी नही सकते, करना तो बहुत दुर की बात है, लेकिन इस के वाजूद हम कई बार समाचार पत्रो मे पढते है... एक आवारा मां ने अपने बच्चो को मार डाला, एक शराबी बाप ने ऎसा कर डाला...... लेकिन यह बाते गले नही उतरती यकीन नही होता, बच्चा कितना भी बडा नुकसान कर दे मां बाप गुस्सा तो बहुत कर सकते है लेकिन...आगे भगवान जाने...
जवाब देंहटाएंऐसी कोई परिस्थिति नहीं होती जो अपनी ही औलाद को मौत के घाट उतारने पर मजबूर कर दे ।
जवाब देंहटाएंमानव के विचार अभी भी आदि काल में ठहर गए हैं।
इनसे बाहर निकलना होगा।
भावनाओं के आवेश में हत्या नहीं उससे भी घ्रणित काम कर गुजरता है।
जवाब देंहटाएंIs dunia me sab mumkin hai..
जवाब देंहटाएंIs dunia me sab mumkin hai..
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअत्यधिक प्यार और इस प्यार के बदले ना टूटने वाले भरोसे की कामना, क्यों की जब इन्शाँ को रिश्तों से चोट पहुचती हे तो वो सबसे पहले ये ही देखता हे की मेने उसके लिए क्या नही किया और बदले में उसने मुझे ये दिया शायद इसी स्थिति में कोई भी इंशान अपने इंशान होने को भूल जाता हे और क्रोध के आवेश में आकर पापकर्म क्र बैठता हे।।
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