गुरुवार, 27 मई 2010

दिल्ली से वापस आकर एक माईक्रो पोस्ट

अभी कुछ देर पहले दिल्ली से घर वापस सकुशल पहुंचा हूँ, यात्रा अविस्मर्णीय रही। जीवन भर याद रहेगी। सिर्फ़ मीठे ही अनुभव रहे, खट्टे का तो नाम-ओ-निशान नहीं रहा। कुछ मित्रों की कमी अवश्य महसूस हुई, जो वादा करने के बाद भी नहीं पहुँचे। यात्रा के विषय में तो अब कल से लिंखुंगा, लस्सी से लालपरी तक, टीचर से प्रोफ़ेसर तक, रिक्शे से रेलवई तक, आज सिर्फ़ एक चित्र से काम चला रहा हूँ और अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा हूँ ।  


                            ब्लागर बैठकी का हिसाब करते हुए.......पहचान कौन?

35 टिप्‍पणियां:

  1. लगता है प्रभू हिसाब कर रये हैं ? हिसाब तो देना ही होगा
    वरना सूचना के अधिकार का प्रयोग कौन कब करले सुना है ?

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  2. आपकी उपस्थिति देखकर हर्ष हुआ / आपसे मिलकर सचमुच बहुत अच्छा लगा ,आशा है हमलोग एक वैचारिक एकजुटता का संगठन बनाने में जरूर कामयाब होंगे और वो भी जनहित व इंसानियत के लिए /

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  3. इस चित्र में अविनाश जी अपने मोबाईल से बाते करते लग रहे है.
    कल की पोस्ट का इंतजार

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  4. अच्‍छा यह ललित चित्र कब खींच लिया।
    कहां था स्‍पाई कैमरा।
    कहां छिपा रखा था
    क्‍या कैमरा कमर में।
    यह कमरा कौन सा है ?
    अरे ललित जी आप नहीं,
    वही देंगे जवाब जो बतलाएंगे कि
    यह अविनाश नहीं तो कौन हैं ?
    वैसे एक क्‍लू देता हूं
    यह चित्र हैलीकॉप्‍टर या
    हवाई जहाज से खींचा गया है
    और वर्मा जी यह मैं नहीं
    मैं तो है ही नहीं
    फिर है कौन ?
    बोलो हिन्‍दी ब्‍लॉगर बोलो
    एक राज यहीं पर खोलो।

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  5. सही है...वापसी पर स्वागत है और कल का इन्तजार, जब विस्तार से लिखोगे!! :)

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  6. आपसे मिलकर ये लगा ही नहीं कि हम पहली बार मिल रहे हैं ....

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  7. सकुशल वापसी पर अभिनम्दन

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  8. @राजीव तनेजा जी

    हम पहली बार नहीं मिले हैं
    हम तो बार बार मिले हैं।

    अजनबी कोई नहीं था
    सब जानते थे एक दुसरे को
    वह भी अच्छी तरह
    शायद बिछुड़े हुए मिले हैं।

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  9. दिल्ली के ब्लागर सम्मेलन के आप सबसे बड़े हीरो बनकर निकले हैं.

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  10. जो याद रहे वो पल ही तो होते है संजोने लायक . फिर से बधाई मीट और यात्रा के लिए
    ये क्या वाचस्पति जी है क्या फोटो में ...में नहीं जानता उनको पर एक गेस

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  11. आपकी इस यात्रा से एक नया रुझान पैदा हुआ है ब्लोगर भाइयों में । आशा है ये और आगे बढेगा ।

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  12. चलिये आप वापस आ गये, सूनापन दूर हुआ यहाँ का।

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  13. शेरसिंह जी,
    पहुंच गये घर? फटाफट अगला काम शुरू कीजिये। इन्तजार है।

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  14. छत्तीसगढ़ में कभी-कभी ''छत्तीस'' का आंकड़ा हो सकता है, मगर वह ''दिल्ली'' है. वहां अच्छा अनुभव ही मिलेगा.बधाई. सार में ही बहुत कुछ कह गए. और वहां जा कर हीरो भी बने. अइसीलिए तो कहा जाता है- ''छत्तीसगढ़िया.... सबले बढ़िया'' वैसे सब नहीं होते. मेरा तो यही अनुभव है. हाँ, जो ललित टाईप का होता है, वही बढ़िया होता है.

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  15. किसी ने जवाब नहीं दिया जी, आपकी पहेली का
    जल्द से उत्तर बता दीजिये
    यह पहेली-वहेली तो ताऊजी के लिये छोडिये और अपनी यात्रा के बारे में लिखिये
    यह चित्र क्या आपने कुर्सी पर खडे होकर खींचा है हा-हा-हा,

    प्रणाम

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  16. कैसे भूल सकता हूं इन्‍हें हर आधे घंटे में इनका एक मेल मेरे मेलबाक्‍स में आता है.

    दिल वालों की दिल्‍ली से सकुशल दिल सहित वापसी के लिए धन्‍यवाद.

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  17. यहाँ आपसे मिला, बहुत से मीठे अनुभवों को ले कर आप घर पहुँच गए...
    अच्छा अब आगे का हाल सुनाया जाए.

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  18. हा...हा...हा....हा....हू....हू.....हू.....हू.....हे.....हे.....हे.....हो....हो.....हो....गनीमत है कि किसी ने हमें वहां देखा नहीं....हम भी वहीँ रोशनदान में बैठे सबको टुकुर-टुकुर निहार रहे थे....अगर गलती से भी वहां सबके बीच टपक पड़ते तो सारे कार्यक्रम की वाट ही लग जाती....खैर मुबारक हो सबको यह सम्मलेन.....!!!

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  19. साहब दिल्ली से आये हैं, ब्लोगर्स मीट सफ़ल बनाये हैं और मूंछ से कह रहे हैं बेटा तने जा। देखते रहिये अभी पिक्चर बाकी है……… ललित भाई परनाम।

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  20. @ सूर्यकान्‍त गुप्‍ता

    मूंछ से कह रहे हैं बेटा तने जा
    और तनेजा को दिल्‍ली छोड़ आए हैं।

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  21. मिलेंगे-मिलेंगे, फिर मिलेंगे. इस बार तो दर्शन कर मन की प्यास बुझाई, अगली बार बतियाकर बुझाएंगे कौतूहल की प्यास!

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  22. ये तो हिन्दी ब्लोगजगत के फ़ेविकोल लग रहे हैं…।:)

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  23. माइक्रो पोस्ट पर इतनी टिप्पणी तो जब बड़ी पोस्ट लिखोगे तो क्या होगा भाई। वैसे हीरो नम्बर वन तो हो यार... लोगों को तुम पर अच्छा लिखकर खुशी होती है।

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  24. इस बार तो सिर्फ़ दर्शन भर हो कर रह गए सर । अगली बार साथ में कीर्तन भजन करेंगे इतना वादा रहा । शायद इस बार यही मंजूर था किस्मत को । अगली बार की प्रतीक्षा रहेगी ।

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  25. लगता है ललित जी की लंबाई कुछ पल के लिये ८ फ़ीट हो गई थी या फ़िर ये ट्रेन के डब्बे पर चढ़ गये थे, तभी ऐसी तस्वीर अविनाश जी की निकाली जा सकती थी :) आगे इंतजार है।

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  26. ललित जी माइक्रो पोस्ट का यह हाल है तो मेक्रो पोस्ट का क्या होगा? वैसे शायद अगली पोस्ट ज़्यादा विस्तृत होगी तभी ज़्यादा वक़्त लगा रहे हैं. घर पहुँचने पर बधाई, मगर आपने यह नहीं बताया कि अपने ही घर पहुंचे हैं या.........

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