अभी कुछ देर पहले दिल्ली से घर वापस सकुशल पहुंचा हूँ, यात्रा अविस्मर्णीय रही। जीवन भर याद रहेगी। सिर्फ़ मीठे ही अनुभव रहे, खट्टे का तो नाम-ओ-निशान नहीं रहा। कुछ मित्रों की कमी अवश्य महसूस हुई, जो वादा करने के बाद भी नहीं पहुँचे। यात्रा के विषय में तो अब कल से लिंखुंगा, लस्सी से लालपरी तक, टीचर से प्रोफ़ेसर तक, रिक्शे से रेलवई तक, आज सिर्फ़ एक चित्र से काम चला रहा हूँ और अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा हूँ ।
ब्लागर बैठकी का हिसाब करते हुए.......पहचान कौन?
अरे ललित जी कोई क्लू तो दीजिए...
जवाब देंहटाएंलगता है प्रभू हिसाब कर रये हैं ? हिसाब तो देना ही होगा
जवाब देंहटाएंवरना सूचना के अधिकार का प्रयोग कौन कब करले सुना है ?
आपकी उपस्थिति देखकर हर्ष हुआ / आपसे मिलकर सचमुच बहुत अच्छा लगा ,आशा है हमलोग एक वैचारिक एकजुटता का संगठन बनाने में जरूर कामयाब होंगे और वो भी जनहित व इंसानियत के लिए /
जवाब देंहटाएंइस चित्र में अविनाश जी अपने मोबाईल से बाते करते लग रहे है.
जवाब देंहटाएंकल की पोस्ट का इंतजार
अच्छा यह ललित चित्र कब खींच लिया।
जवाब देंहटाएंकहां था स्पाई कैमरा।
कहां छिपा रखा था
क्या कैमरा कमर में।
यह कमरा कौन सा है ?
अरे ललित जी आप नहीं,
वही देंगे जवाब जो बतलाएंगे कि
यह अविनाश नहीं तो कौन हैं ?
वैसे एक क्लू देता हूं
यह चित्र हैलीकॉप्टर या
हवाई जहाज से खींचा गया है
और वर्मा जी यह मैं नहीं
मैं तो है ही नहीं
फिर है कौन ?
बोलो हिन्दी ब्लॉगर बोलो
एक राज यहीं पर खोलो।
सही है...वापसी पर स्वागत है और कल का इन्तजार, जब विस्तार से लिखोगे!! :)
जवाब देंहटाएंइंतजार करते हैं।
जवाब देंहटाएंआपसे मिलकर ये लगा ही नहीं कि हम पहली बार मिल रहे हैं ....
जवाब देंहटाएंसकुशल वापसी पर अभिनम्दन
जवाब देंहटाएं@राजीव तनेजा जी
जवाब देंहटाएंहम पहली बार नहीं मिले हैं
हम तो बार बार मिले हैं।
अजनबी कोई नहीं था
सब जानते थे एक दुसरे को
वह भी अच्छी तरह
शायद बिछुड़े हुए मिले हैं।
दिल्ली के ब्लागर सम्मेलन के आप सबसे बड़े हीरो बनकर निकले हैं.
जवाब देंहटाएंजो याद रहे वो पल ही तो होते है संजोने लायक . फिर से बधाई मीट और यात्रा के लिए
जवाब देंहटाएंये क्या वाचस्पति जी है क्या फोटो में ...में नहीं जानता उनको पर एक गेस
आपकी इस यात्रा से एक नया रुझान पैदा हुआ है ब्लोगर भाइयों में । आशा है ये और आगे बढेगा ।
जवाब देंहटाएंचलिये आप वापस आ गये, सूनापन दूर हुआ यहाँ का।
जवाब देंहटाएंशेरसिंह जी,
जवाब देंहटाएंपहुंच गये घर? फटाफट अगला काम शुरू कीजिये। इन्तजार है।
छत्तीसगढ़ में कभी-कभी ''छत्तीस'' का आंकड़ा हो सकता है, मगर वह ''दिल्ली'' है. वहां अच्छा अनुभव ही मिलेगा.बधाई. सार में ही बहुत कुछ कह गए. और वहां जा कर हीरो भी बने. अइसीलिए तो कहा जाता है- ''छत्तीसगढ़िया.... सबले बढ़िया'' वैसे सब नहीं होते. मेरा तो यही अनुभव है. हाँ, जो ललित टाईप का होता है, वही बढ़िया होता है.
जवाब देंहटाएंकिसी ने जवाब नहीं दिया जी, आपकी पहेली का
जवाब देंहटाएंजल्द से उत्तर बता दीजिये
यह पहेली-वहेली तो ताऊजी के लिये छोडिये और अपनी यात्रा के बारे में लिखिये
यह चित्र क्या आपने कुर्सी पर खडे होकर खींचा है हा-हा-हा,
प्रणाम
कैसे भूल सकता हूं इन्हें हर आधे घंटे में इनका एक मेल मेरे मेलबाक्स में आता है.
जवाब देंहटाएंदिल वालों की दिल्ली से सकुशल दिल सहित वापसी के लिए धन्यवाद.
यहाँ आपसे मिला, बहुत से मीठे अनुभवों को ले कर आप घर पहुँच गए...
जवाब देंहटाएंअच्छा अब आगे का हाल सुनाया जाए.
बधाई
जवाब देंहटाएंhope u enjoyed well
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा....हा....हू....हू.....हू.....हू.....हे.....हे.....हे.....हो....हो.....हो....गनीमत है कि किसी ने हमें वहां देखा नहीं....हम भी वहीँ रोशनदान में बैठे सबको टुकुर-टुकुर निहार रहे थे....अगर गलती से भी वहां सबके बीच टपक पड़ते तो सारे कार्यक्रम की वाट ही लग जाती....खैर मुबारक हो सबको यह सम्मलेन.....!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर जी,
जवाब देंहटाएंkushal vapsi par abhinandan vistrit report ka intzaar hai
जवाब देंहटाएंसाहब दिल्ली से आये हैं, ब्लोगर्स मीट सफ़ल बनाये हैं और मूंछ से कह रहे हैं बेटा तने जा। देखते रहिये अभी पिक्चर बाकी है……… ललित भाई परनाम।
जवाब देंहटाएं@ सूर्यकान्त गुप्ता
जवाब देंहटाएंमूंछ से कह रहे हैं बेटा तने जा
और तनेजा को दिल्ली छोड़ आए हैं।
मिलेंगे-मिलेंगे, फिर मिलेंगे. इस बार तो दर्शन कर मन की प्यास बुझाई, अगली बार बतियाकर बुझाएंगे कौतूहल की प्यास!
जवाब देंहटाएंये तो हिन्दी ब्लोगजगत के फ़ेविकोल लग रहे हैं…।:)
जवाब देंहटाएंमाइक्रो पोस्ट पर इतनी टिप्पणी तो जब बड़ी पोस्ट लिखोगे तो क्या होगा भाई। वैसे हीरो नम्बर वन तो हो यार... लोगों को तुम पर अच्छा लिखकर खुशी होती है।
जवाब देंहटाएंइस बार तो सिर्फ़ दर्शन भर हो कर रह गए सर । अगली बार साथ में कीर्तन भजन करेंगे इतना वादा रहा । शायद इस बार यही मंजूर था किस्मत को । अगली बार की प्रतीक्षा रहेगी ।
जवाब देंहटाएंलगता है ललित जी की लंबाई कुछ पल के लिये ८ फ़ीट हो गई थी या फ़िर ये ट्रेन के डब्बे पर चढ़ गये थे, तभी ऐसी तस्वीर अविनाश जी की निकाली जा सकती थी :) आगे इंतजार है।
जवाब देंहटाएंबढिया महाराज्!
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंललित जी माइक्रो पोस्ट का यह हाल है तो मेक्रो पोस्ट का क्या होगा? वैसे शायद अगली पोस्ट ज़्यादा विस्तृत होगी तभी ज़्यादा वक़्त लगा रहे हैं. घर पहुँचने पर बधाई, मगर आपने यह नहीं बताया कि अपने ही घर पहुंचे हैं या.........
जवाब देंहटाएं:)))
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