गिरीश दादा जी लौट आए हैं, हमारी मिन्नतें काम आई, सुबह ब्रेकिंग न्युज से पता चला था कि वे अमरकंटक में देखे गये थे, वहां भक्तों की भीड़ लगने के कारण अचानक अन्तर ध्यान हो गये। अब पता चला है कि वे ब्लाग पर लौट आए हैं यहां पर आकर उन्होने अपनी टिप्पणी छोड़ी है, जिसमें एक संदेश दिया है................
इसके बाद एक दुसरी टिप्पणी भी है......................
गिरीश बिल्लोरे मित्रो सादर अभिवादन,गहन विमर्श एवम आत्म मंथन से स्पष्ट हुआ कि हम किसी भी स्थिति में लेखन से दूर हो ही नहीं सकते ज़िन्दा होने का सबूत देना ही होगा आपका संदेश देख कर अभीभूत हूं . अवश्य ही लौटूंगा मित्रों से इस अपेक्षा के साथ कि कोई दूसरा ”...” अपनी कुंठा न परोसें इस हेतु आप सबको साथ देना होगा . सच बेनामी आदमीयों जिनकी रीढ़ ही नहीं है से जूझना कोई कठिन नहीं
गिरीश बिल्लोरे मैं भी परशुराम की सौगंध लेकर गलत बात को समाप्त करने का संकल्प लेता हूं. सुरेश जी का मत शिरोधार्य,कोई बुराई नहीं मेहतर बनने में डस्टबीन इन धूर्त लोगों की प्रतीक्षा में हैं मुझे मेरा दायित्व समझना था किंतु मानवीय भाव वश घायल हो गया अब ठीक हूं. देखता हूं शब्द आडम्बर जीतेंगे या हम जो भाव जगत में सक्रिय है
- गिरीश दादा जी सुरेश जी का मत शिरोधार्य कर चुके हैं, सुरेश जी ने ब्लागिंग का अमोध मंत्र दिया था, वह ब्लागरों के काम आ रहा है, अब इन्तजार है उनकी धुंवाधार पॉडकास्ट ब्लागिंग का, और हमारा निवेदन है कि जिनसे वो पॉडकास्ट का बयाना लेकर गए थे, उनका काम पहले निपटा दें नहीं तो वे फ़िर हमारी छाती छोलने लग जाएंगे। नये पॉडकास्ट बाद में लें, हमारा यही निवेदन हैं।
जी
जवाब देंहटाएंसही है आ रहा हूं
आ रहे है!
जवाब देंहटाएंअजी गए ही कहा थे!
फिर भी सुस्वागतम है जी!
कुंवर जी,
देर रात पोस्ट पेश करूंगा
जवाब देंहटाएंअसीम स्नेह के लिये आभारी हूं
अवश्य ही लौटूंगा मित्रों से इस अपेक्षा के साथ कि कोई दूसरा ”...” अपनी कुंठा न परोसें इस हेतु आप सबको साथ देना होगा . सच बेनामी आदमीयों जिनकी रीढ़ ही नहीं है से जूझना कोई कठिन नहीं बस यही नजदीकियां रहें हमसे॥
जवाब देंहटाएंआपकी का स्वागत है।
सुबह का भूला यदि शाम को घर आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते।
जवाब देंहटाएंभाई क्या टिपण्णी दू ,पहली टिपण्णी गिरीश जी का देखकर मन प्रशन्न हो गया / वैसे ललित जी आपकी ये रिपोर्टिग भी सत्य को साथ लिए हुए है ,इसके लिए आपका धन्यवाद /
जवाब देंहटाएंआने वाले को जाना पडता है और जाने वाले को आना पडता है।
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम
जवाब देंहटाएंइस खुशखबरी को देने के लिए ललित जी का आभार!
जवाब देंहटाएंगिरीश बिल्लौरे जी का स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ!
स्वागत है इनका , हमने तो पहले ही कहा था कि हम इन्हे वापस लेकर ही आयेंगे ।
जवाब देंहटाएंआ गये बिल्लोरे जी। अब कभी किसी को न बिल्होरे जी। ललित भाई हैं न। आकाश पाताल एक कर देंगे खोजने मे। बधाई।
जवाब देंहटाएंआपके सद्प्रयास सफल हुए आखिरकार.. बधाई ललित सर..
जवाब देंहटाएं.... देखो भाई अब "नाट आऊट" ही रहना है !!!
जवाब देंहटाएंचलिए वापसी सुखद हो ये ही दुआ कर सकते हैं
जवाब देंहटाएंनमस्कार जी
जवाब देंहटाएंहम भी सुरेश चिपलूनकर जी के उस ब्लागिंग अमोध मंत्र के समर्थक है |
जवाब देंहटाएंचलिये, अब इन्टरव्यू हो ही जायेगा किसी न किसी दिन!! :) अच्छा लगा गिरीश भाई को वापस पा कर.
जवाब देंहटाएंसभी का हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंआज आपकी टिप्पणी मोहल्लालाइव यात्रा बुक्स और जनतंत्र के कार्यक्रम में अविनाश द्वारा पढ़ी गई।
जवाब देंहटाएंआप से अभिप्राय श्री गिरीश बिल्लौरे जी से है।
जवाब देंहटाएंभाई गिरीश जी
जवाब देंहटाएंआपके ना होने क अहसास एक ............ बनके रह गया
विश्वास था कि आपके अन्दर छिपा हुआ लेखक कभी चुप नही रहेगा.
स्वागत
स्वागत
स्वागत
welcome back Girish jee.
जवाब देंहटाएंVery Good......
जवाब देंहटाएंअच्छी खबर. आज बुधवार अच्छा शुरू हुआ है यारों :)
जवाब देंहटाएंdarna nahi, mukqabala karan hai. kadam-kadam par shatiro se. date rao bhai. ham sab ki shubhkamanaa hai' apna hi sher yaad aa raha hai,ki
जवाब देंहटाएंaapki shubhkamanayen saath hai
kya hua gar kuchh balaye saath hai..
हमको सब पता था कि कहाँ गए थे इसीलिए ...............
जवाब देंहटाएंअच्छी सूचना हम सब के लिए.
जवाब देंहटाएंठीक हैं जी
जवाब देंहटाएंस्वागत है इनका
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