सड़क दुर्घटनाओं से कोई सबक नहीं लेता, हुआ यूं कि हम गए थे ताऊ शेखावाटी जी से मिलने, शाम को लगभग 5 बजे थे।
घर से कोई 4 किलोमीटर निकले होगें कि सामने हाई वे पर अचानक एक टाटा का छोटा हाथी सड़क पर लहराते हुए हमारी गाड़ी की तरफ़ आया, हमने सोचा कि आज फ़िर काम हो गया। एक एक्सीडेंट और झेलना पड़ेगा।
आ री निंदिया आ जा तू (राजकुमार सोनी)
रंग और नूर की बारात किसे पेश करुं
घर से कोई 4 किलोमीटर निकले होगें कि सामने हाई वे पर अचानक एक टाटा का छोटा हाथी सड़क पर लहराते हुए हमारी गाड़ी की तरफ़ आया, हमने सोचा कि आज फ़िर काम हो गया। एक एक्सीडेंट और झेलना पड़ेगा।
इतने में ही उसके दांए तरफ़ के दोनो चक्के हवा में उठ गये और वह लहराता हुआ हमारी विपरीत दिशा में चला गया। सड़क के किनारे पेड़ों के बीच उसने दो पलटी खाई।
हमने तुरंत गाड़ी रोकी और दौड़ कर उनकी तरफ़ गए तो एक लड़का तो गाड़ी से बाहर आ गया था तथा दुसरा निकलने की प्रयास कर रहा था। उसे सहारा देकर निकाला, दोनो को किसी प्रकार की उपरी चोट नहीं आई थी और डर के मारे थर-थर कांप रहे थे।
मैने मोबाईल से उनके मालिक को दुर्घटना की सूचना दी और दो फ़ोटो लेकर निकल पड़ा रायपुर की ओर...................
हमने तुरंत गाड़ी रोकी और दौड़ कर उनकी तरफ़ गए तो एक लड़का तो गाड़ी से बाहर आ गया था तथा दुसरा निकलने की प्रयास कर रहा था। उसे सहारा देकर निकाला, दोनो को किसी प्रकार की उपरी चोट नहीं आई थी और डर के मारे थर-थर कांप रहे थे।
मैने मोबाईल से उनके मालिक को दुर्घटना की सूचना दी और दो फ़ोटो लेकर निकल पड़ा रायपुर की ओर...................
राजकुमार सोनी दिल के भी बहुत अच्छे आदमी हैं रात उन्होने एक अपनी नई विधा का परि्चय दिया और कुछ गाने गाए।
हमने भी दुर्घटना को भूल कर गानों का आनंद लिया। "न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाए" बस इसी अंदाज में गाने सुने,
जब से उन्होने गाना गाया है तभी से उनके घर के बाहर भीड़ लगी है, वंस मोर वंस मोर के नारे लग रहे हैं, भीड़ को संभालने के लिए पुलिस की व्यवस्था करनी पड़ी,
हमको वहां से निकलने में ही रात के एक बज गए, स्काच का सूरुर अपने यौवन पर था, हम तो निकल लिए और सोनी जी फ़ंस गए।
अब उनकी क्या हालत है यह तो हमने पूछा नही? समय मिलते ही पूछेंगे तब तक आप उनके गाए गीतों का आनंद लि्जिए,
हमने मोबाइल से उनके दो गाने रिकार्ड किए हैं , रिकार्डिंग अच्छी नही है ....... फ़िर भी आनंद लि्या जा सकता हैं
हमने भी दुर्घटना को भूल कर गानों का आनंद लिया। "न जाने किस गली में जिन्दगी की शाम हो जाए" बस इसी अंदाज में गाने सुने,
जब से उन्होने गाना गाया है तभी से उनके घर के बाहर भीड़ लगी है, वंस मोर वंस मोर के नारे लग रहे हैं, भीड़ को संभालने के लिए पुलिस की व्यवस्था करनी पड़ी,
हमको वहां से निकलने में ही रात के एक बज गए, स्काच का सूरुर अपने यौवन पर था, हम तो निकल लिए और सोनी जी फ़ंस गए।
अब उनकी क्या हालत है यह तो हमने पूछा नही? समय मिलते ही पूछेंगे तब तक आप उनके गाए गीतों का आनंद लि्जिए,
हमने मोबाइल से उनके दो गाने रिकार्ड किए हैं , रिकार्डिंग अच्छी नही है ....... फ़िर भी आनंद लि्या जा सकता हैं
आ री निंदिया आ जा तू (राजकुमार सोनी)
रंग और नूर की बारात किसे पेश करुं
सचित्र संस्मरण और फिर गाने
जवाब देंहटाएंक्या कहने
सुंदर!
जवाब देंहटाएंआप मानें या न मानें
जवाब देंहटाएंपर यह सच है कि
जलजला जलाने नहीं
जगाने आया है
आग लगाने नहीं
लगी हुई आग को
बुझाने आया है
http://jhhakajhhaktimes.blogspot.com/2010/05/blog-post_18.html
राजकुमार भाई तो बहुमुखी प्रतिभा के धनी निकले, गजब गाया है.
जवाब देंहटाएंअब तो जो महफिल रायपुर में जमेगी, उसमें उनके गीत बहुत सजेंगे हमारे आपके चीयर्स के साथ.
तारीफ करने में मैं कम नहीं हूँ...दो कह रहा हूँ, पांच गवायेंगे..तैयार रहें राजकुमार भाई. :)
साथ १० कविता भी तो झिलवाऊँगा...हा हा!!
...वाह वाह ... वाह वाह ... वाह वाह ... !!!!
जवाब देंहटाएंwaah Lalit ji achche geet hain...
जवाब देंहटाएंराजकुमार सोनी जी के गायन प्रतिभा को सभी के समक्ष लाने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ललित जी!
जवाब देंहटाएंदुखद दुर्घटना लेकिन उसे भूलने की सार्थक सोच और गाने तो अति सुन्दर / राज कुमार जी को धन्यवाद और ललित जी आपको भी /
जवाब देंहटाएंअरे ये तो सही खबर दी आपने ...राजकुमार सोनी जी को फुनवा घुमाते है और गाने सुनते है ...
जवाब देंहटाएंघणा चोखा संस्मरण...गीत भी कर्णप्रिय!!
जवाब देंहटाएंबेचारा ट्रक वाला
जवाब देंहटाएंललित भाई
जवाब देंहटाएंअब क्या कहां जाए
यूं ही गाने को कोई गाना थोड़े ही बोलते है भाई। करोके में तो आजकल बच्चे-बच्चे गा रहे हैं।
मै अभी तक सोच रहा था टिपिया चुका हूँ । पिछ्ले के धोके मे। दुर्घटना का जिक्र हो चुका था फोनवा मे। बहुत बढिया चित्रण्।
जवाब देंहटाएंवाह वाह ... !!!!
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