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रनिवास से हम हम्पी के शाही आवासीय परिसर के प्रवेश द्वार पर स्थित हजार राम मंदिर पहुंच गए। पन्द्रहवीं सदी में कड़प्पा प्रस्तर से निर्मित यह राजा का निज मंदिर है, इस मंदिर में राजपरिवार द्वारा पूजा की जाती थी। यह जनाना आवास के समीप ही है। कहा जाता है कि इसका निर्माण राजा कृष्णदेव राय ने अपने कार्यकाल में करवाया था।
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हजार राम मंदिर का मुख्य मंडप |
इसके सामने सुपारी बाजार है और मंदिर के गर्भगृह से समक्ष स्थापित गरुड़ स्तंभ दिखाई देता है। शाही आवासीय परिसर में स्थित इस मंदिर की शिल्पकला देखने लायक है। रामायण के कथानकों को भित्तियों में स्थान दिया गया है, रामकथा के हजार प्रसंगों का शिल्पाकंन करने के कारण इसे हजारराम मंदिर नाम दिया गया।
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हजार राम मंदिर का महामंडप एवं गर्भ गृह |
मंदिर के गर्भगृह में वर्तमान में कोई प्रतिमा स्थापित नहीं है। मुख्य मंडप में काले ग्रेनाईट के चार अलंकृत स्तंभों का प्रयोग किया गया है। इन्हे पॉलिश करके चिकना किया गया है। इन स्तभों पर राम सीता, विष्णु, उमा महेश्वर, मुरलीधर एवं अन्य देवी देवताओं को स्थान दिया गया है।
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महामंडप के अलंकृत स्तंभ एवं गर्भगृह |
मुख्य मंडप का वितान चतुष्कोणीय जिसमें सुंदर पद्मांकन किया गया है। मंदिर के मुख्यद्वार के शिलापट पर गजाभिषिक्त लक्ष्मी का अंकन है। मंदिर की बाहरी एवं भीतरी भित्तियों पर प्रचूर मात्रा में रामायण के कथानकों के साथ अन्य देवी देवताओं को भी स्थान दिया गया है। मुख्यद्वार पर एक तरफ़ महिषसुर मर्दनी एवं दूसरी तरफ़ भैरव की प्रतिमा बनाई गई है।
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हजाराराम मन्दिर के द्वार पर भैरव अंकन |
भगवान विष्णु को समर्पित यह भव्य मंदिर है, इसका निर्माण राजपरिवार के धार्मिक अनुष्ठानों के लिए किया गया था। विशेष पर्वों पर आमजनता को भी इस मंदिर में दर्शन की अनुमति दी जाती रही होगी। यह मंदिर द्रविड़ शिल्पकला का अनुपम उदाहरण है।
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हजाराराम मन्दिर के द्वार पर महिषासुर मर्दनी अंकन |
इसकी योजना में एक गर्भगृह, एक अंतराल, एक मुख मंडप तथा उत्तर-दक्षिण में अर्ध मंडप निर्मित हैं। पुर्व दिशा में विस्तारित सुंदर महा मंडप है। मंदिर की उत्तर दिशा में देवी का अलंकृत मंदिर भी है। हजारराम मंदिर अपने पॉलिश किए गए स्तंभों के कारण अलग पहचाना जाता है।
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हजाराराम मंदिर की भित्ति पर रामायण के प्रसंगो का प्रदर्शन |
भित्तियों पर अंकित प्रतिमाओं के मैने कुछ चित्र लिए, समय इतना नहीं था कि पूरी रामायण को अपने कैमरे में कैद कर सकूं। कुछ शिल्पांकन रामायण से हट कर भी दिखाई देता है, एक स्थान पर मुझे विष कन्याओं का शिल्पांकन भी दिखाई दिया। जो हाथ में फ़णीधर नाग लेकर उससे खेलती हुई दिखाई दे रही हैं।
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हजाराराम मन्दिर की भित्ति पर विष कन्या का अंकन |
इसके साथ ही सैनिक दल, आखेट, नृत्यांगनाओं एवं अन्य राजकीय गतिविधियों को भी दर्शाया गया है। हम्पी के सन्य मंदिरों की तरह इस मंदिर की छत से उपर का निर्माण ईंटों से किया गया है तथा सूर्खी एवं चूने की सहायता से प्रतिमाओं का निर्माण भी किया गया है, जो अभी क्षरित हो रही हैं।
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रामायण के प्रसंग में राजा दशरथ तीनो रानियों को यज्ञ शेष खीर का वितरण करते हुए |
जिस तरह उत्तर भारत के मंदिरों में प्रत्येक मंदिर में मिथुन शिल्प को भी स्थान दिया गया है, वहीं हम्पी के मंदिरों में मिथुन प्रतिमाओं का लगभग अभाव ही है, अन्य किसी मंदिर में मुझे मिथुन प्रतिमाएं दिखाई नहीं दी। सिर्फ़ हजार राम मंदिर में अपवाद स्वरुप एक मिथुन भित्ति प्रतिमा दिखाई देती है।
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हजारराम मंदिर का इकलौता मिथुनांकन |
शायद इस काल में मंदिरों में मिथुन प्रतिमाओं का अंकन कम हो गया होगा या मिथुन प्रतिमाओं के सार्वजनिक प्रदर्शन से बचा जाता होगा। कुछ भी हो सकता है, परन्तु एक मिथुन प्रतिमा का मिलना अपवाद ही माना जा सकता है। कुल मिलाकर हजार राम मंदिर द्वविड़ शिल्पकला का उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है।
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