रविवार, 6 दिसंबर 2009

देखो अब हो गया ना जादू!!

बचपन में जब हम स्कुल में पढ़ते थे तो वहां जादू का खेल दिखाने के लिए जादूगर आते ही रहते थे. पूरा स्कुल बड़े चाव से जादू देखता था. आज भी हम जादू देखते हैं और सोचने को मजबूर हो जाते हैं, कि जादूगर ने यह-कैसे किया? अभी कुछ दिन पहले हमारे स्कुल में एक जादूगर आया. उसने जादू दिखाने की तयारी की. और जादू दिखाने लगा. डिब्बे में से कबूतर, रंग बिरंगे फुल, कागजों को जोड़ना. कागज से नोट बनाना आदि उसने बहुत सारे खेल दिखाए. मेरा बेटा जो उस समय २-३ साल का रहा होगा. अचानक वो जादूगर के पास पहुँच गया और उसकी टेबल पर उसने अपनी खिलौना कार रख दी और बोला " इसे बड़ी कर दो" तो वह जादूगर बोला " बेटा ये जादू मुझे नहीं आता, इसको तो तुम्हारे पापा ही बड़ी कर सकते हैं. मेंरे कहने का तात्पर्य यह है कि जादू देखकर बच्चे बड़े सभी के मन में जिज्ञासा पैदा हो जाती है कि ये जादू कैसे होता है? चलो एक जादू आज रहस्य आपको भी बताते हैं.
हम देखते हैं कि जादूगर एक अंगूठी तमाशबीनों से लेता है और उसमे धागा बांध कर दीवाल के सहारे खूंटी या कील पर लटका देता है. फिर उस धागे में आग लगा कर जला देता है लेकिन अंगूठी गिरती नहीं है. इससे लोगों में बड़ा कौतुहल पैदा होता है कि धागा जलने के बाद अंगूठी गिरी क्यों नहीं?
इसका भेद धागे में छिपा है. जिससे बांध के अंगूठी छिपाई जाती है, अर्थात धागा पहले से तैयार किया हुआ रहता है. धागा तैयार करने की तरकीब यह है कि बारीक़ पिसे हुए नमक में दो बूंद पानी डाल कर उसमे धागे को खूब माला जाता है जब तक नमक धागे अन्दर समा ना जाये. जब धागे के अन्दर नमक पूरी तरह समा जाता है तब उसे दुप में सुखा दें. जब धागा धुप में सूख जाता है, तब समझ लो कि अब धागा खेल के लिए तैयार हो गया. बस अब धागे में अंगूठी बंद कर दीवार पर लगी कील पर बांध दो, ध्यान रहे वहां पर ज्यादा हवा नहीं चल रही हो.अन्यथा अंगूठी के गिरने की आशंका बनी रहेगी. बस अब धागे में आग लगा दें. अब अंगूठी नहीं गिरेगी. देखो अब हो गया ना जादू!!

14 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह! हम भी बन गये जादूगर
    दो चार और टिप्स बता दे तो धन्धा ही बदल लेते हैं

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  2. वाह अच्छी बताई अपने यह जादू तरकीब !

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  3. दो चार ऐसे ही फार्मूले और बता दोगे तो हम भी जादूगर बन जायेंगे !!

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  4. तो यह है इस जादू का राज .. जादूगरों का जबाब नहीं .. हमलोग तो सिर्फ पतंग उडाने के लिए ही धागे तैयार करते थे !!

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  5. कल दिखाता हूँ दोस्तों को जादू...और सिखाओ.. :)

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  6. एक दो ऎसे ही तरीके ओर सिखा दें तो जादूगिरी का साईड बिजनेस खोल ही लेते हैं :)

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  7. लो जी हम भी बन गये जादुगर, अब सब को दिखायेगे, राम राम

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  8. गुज़रते पल गुज़रते छिन कभी हमको रुलाते हैं
    कभी देकर सदायें वे हमें वापस बुलाते हैं
    दिलों को जोड़ने वाली उन्ही टूटी दीवारों से
    टपकते जल तुम्हारा अक़्स बूंदों में दिखाते हैं
    हमारी बात दिल की रह गयी दिल में हमेशा को
    न जाने क्यों हमारे बाप माँ रिश्ते बुलाते हैं

    ... वही आँखें वही मुस्कान हरदम याद आते हैं
    ग़ज़ल की पंक्तियों से शब्द को वो बदल जाते हैं

    कदम तेरे जिधर जाते दिखे हमको लकीरों से
    उसी पथ पर चला करते कभी थे हम बताते हैं

    बहुत सोचा बहुत चाहा बहुत रोया किया बेबस
    बहुत से लोग हैं अब तक हमें मज़हब सिखाते हैं

    ... जिसे न पा सके कोई वही लगता पियारा है
    वगरना आज के इंसां ''ब '' मतलब निकलवाते हैं

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  9. कया बात है अच्छा जादू है

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  10. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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