धान के देश में हमने जन्म लिया, हमारे पूर्वजों की जन्म भूमि और कर्म भूमि धान का देश ही रहा,
हम छत्तीसगढ़ महतारी की गोद में खेल कर बड़े हुए और उसका स्नेह पा रहे हैं. अपने को भाग्यशाली मान रहे हैं.
जब ब्लॉग पर हमने एक दिन "धान के देश में" देखा तो समझ गए कि ये तो हमारे सहोदर ही होंगे और उनसे मिलने की जुगत लगाने लगे.
रायपुर में अवधिया पारा है और मैं भी कुछ अवधिया लोंगो को जानता हूँ ,तो सोचा था एक दिन हमारी मुलाकात जी.के. अवधिया जी से अवश्य ही हो जाएगी.
एक दिन मैंने अवधिया जी को मेल किया और अपना मोबाइल नंबर दिया. तो अवधिया जी ने तुरंत फोन लगाया, हाँ महाराज ! मैं अवधिया बोलत हंव". अवधिया जी से उस दिन बात करके बड़ा आनंद आया.
फिर एक दिन हमारा मिलना तय हो गया. हमारी मुलाकात उस दिन की सिर्फ २० मिनट की रही क्योंकि मुझे उस दिन यात्रा पर जाना था और इस बीच मेरे पास २० मिनट का समय ही था. फिर मिलने का वादा करके मैं अपने सफ़र पर चल पड़ा.
अभी कुछ दिन पहले हम पुरे तीन घंटे बैठे और ब्लोगिंग के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई . अवधिया जी एक योगी की तरह ब्लॉग जगत की सेवा में लगे हैं. उन्होंने मुझे बहुत प्रभावित किया, उनका लेखन तो सबको प्रभावित करता है.
मैं रोज लगभग 60 -70 ब्लॉग तो पढ़ता ही हूँ. लेकिन अवधिया जी के लेखन की बात ही कुछ और है. एक सरल सौम्य और शानदार व्यक्तित्व के स्वामी अवधिया जी सुबह 9 बजे से कंप्यूटर देव के सामने अगर बत्ती लगा कर बैठते हैं और रात ८ बजे तक लगे रहते हैं लेखन कार्य में,
एक साधक की तरह. गूगल बाबा की सभी हरकतों और नस नाड़ियों के जानकर वैद्य हैं और हमेशा एक ही चिंतन रहता है कि ब्लॉग से कमाई कैसे हो? ब्लॉग से कमाई के सारे रास्ते तलाश करते रहते हैं. मेरे वहां पहुँचने पर उन्होंने कई गुरु मंत्र दिये.
फिर मेरा उनसे विदा लेने का समय आ गया था. क्योंकि जिस कार्य को अधुरा छोड़ कर आया था उसे पूरा करने का समय आ गया था. अवधिया जी से काफी चर्चाएँ हुयी जिनकी चर्चा मैं बाद में करूँगा. आज उनका एक गुरु मंत्र आपके लिए भी छोड़ रहा हूँ.
हम छत्तीसगढ़ महतारी की गोद में खेल कर बड़े हुए और उसका स्नेह पा रहे हैं. अपने को भाग्यशाली मान रहे हैं.
जब ब्लॉग पर हमने एक दिन "धान के देश में" देखा तो समझ गए कि ये तो हमारे सहोदर ही होंगे और उनसे मिलने की जुगत लगाने लगे.
रायपुर में अवधिया पारा है और मैं भी कुछ अवधिया लोंगो को जानता हूँ ,तो सोचा था एक दिन हमारी मुलाकात जी.के. अवधिया जी से अवश्य ही हो जाएगी.
एक दिन मैंने अवधिया जी को मेल किया और अपना मोबाइल नंबर दिया. तो अवधिया जी ने तुरंत फोन लगाया, हाँ महाराज ! मैं अवधिया बोलत हंव". अवधिया जी से उस दिन बात करके बड़ा आनंद आया.
फिर एक दिन हमारा मिलना तय हो गया. हमारी मुलाकात उस दिन की सिर्फ २० मिनट की रही क्योंकि मुझे उस दिन यात्रा पर जाना था और इस बीच मेरे पास २० मिनट का समय ही था. फिर मिलने का वादा करके मैं अपने सफ़र पर चल पड़ा.
अभी कुछ दिन पहले हम पुरे तीन घंटे बैठे और ब्लोगिंग के सभी पहलुओं पर चर्चा हुई . अवधिया जी एक योगी की तरह ब्लॉग जगत की सेवा में लगे हैं. उन्होंने मुझे बहुत प्रभावित किया, उनका लेखन तो सबको प्रभावित करता है.
मैं रोज लगभग 60 -70 ब्लॉग तो पढ़ता ही हूँ. लेकिन अवधिया जी के लेखन की बात ही कुछ और है. एक सरल सौम्य और शानदार व्यक्तित्व के स्वामी अवधिया जी सुबह 9 बजे से कंप्यूटर देव के सामने अगर बत्ती लगा कर बैठते हैं और रात ८ बजे तक लगे रहते हैं लेखन कार्य में,
एक साधक की तरह. गूगल बाबा की सभी हरकतों और नस नाड़ियों के जानकर वैद्य हैं और हमेशा एक ही चिंतन रहता है कि ब्लॉग से कमाई कैसे हो? ब्लॉग से कमाई के सारे रास्ते तलाश करते रहते हैं. मेरे वहां पहुँचने पर उन्होंने कई गुरु मंत्र दिये.
फिर मेरा उनसे विदा लेने का समय आ गया था. क्योंकि जिस कार्य को अधुरा छोड़ कर आया था उसे पूरा करने का समय आ गया था. अवधिया जी से काफी चर्चाएँ हुयी जिनकी चर्चा मैं बाद में करूँगा. आज उनका एक गुरु मंत्र आपके लिए भी छोड़ रहा हूँ.
चलते चलते
अवधिया जी मुझे बताया कि पीने के लिए चार चीजों का ध्यान रखना जरुरी है.
जिसे उन होने फोर- डी कह कर सम्बोधित किया.
१. ड्रिंक- उत्तम क्वालिटी का हो
२.डाल्युट- पानी सोडा सही मात्र में होना चाहिए.
३.ड्यूरेशन- पीने के दौरान एक सिप और दूसरी सिप के बीच में अन्तराल होना चाहिए.
४.डाईट- जब पी लो, तो खाना भी डट कर होना चाहिए.
अगर इस नियम कायदे से चला जाये तो पीना हानि कारक नहीं है.
एक D और होता है भई! दोस्त
जवाब देंहटाएंइनके बिना क्या मज़ा बाकी चार का!!
हम भी सोच रहे हैं कि अवधिया जी से मिल ही लिया जाए, बातें बहुत हो गईं
बी एस पाबला
रचना अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंअवधिया जी सचमुच योगी हैं मुझे उनके द्वारा हिन्दी नेटजगत के लिए किए जा रहे कार्य एवं स्तरीय लेखन बहुत प्रभावित करते हैं.
जवाब देंहटाएंगुरू मंत्र कान में (फूंक कर)दी जाती है बडे भाई यहां आपने इसे सार्वजनिक कर दिया, चलो ठीक है आनंदम-आनंदम.
सुंदर परिचय अवधिया जी का। पर पीने वाली सलाह हमारे लिए व्यर्थ निकली।
जवाब देंहटाएं@ द्विवेदी जी-अवधिया जी "साईबर योगी" हैं इसलिए उन्होने मोक्ष का सरल मार्ग बताया है।
जवाब देंहटाएंमद्य,मांसं,मीनं, मुद्रां,मैथुन एव च।
ऐते पंच मकार: श्योर्मोक्षदे युगे यु्गे॥
हा हा हा हा
अवधिया जी को साधुवाद
जवाब देंहटाएंअरे भैया ललित जी,
जवाब देंहटाएंहमने आपको यारी दोस्ती में मंत्र दिया और आपने उसे सार्वजनिक कर दिया।
चलो ठीक है, "बदनाम भी होंगे तो क्या नाम न होगा?"
अवधिया जी तो सब के लोये प्रेरणा स्त्रोत हैं मगर उनके इस मन्त्र का हम क्या करें? आजमा भी नहीं सकते । धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया पोस्ट।
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आदरणीय अवधिया जी की बताई चार बातों में दो और जोड़ूंगा...
५- कभी भी सूर्यास्त से पहले न 'पियो'।
६- दो बार लगातार एक ही जगह (venue) पर न 'पियो'।
फिर देखिये इस प्रकार पीने से आपको आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं हो सकती!
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जवाब देंहटाएंये जो पीने की आदत आम हो गई
जवाब देंहटाएंतौबा तौबा शराब बदनाम हो गई...
जय हिंद...
अवधिया जी तो सचमुच गुरू आदमी निकले :)
जवाब देंहटाएंअवधिया जी इतने सरस हैं , आज जाना ..
जवाब देंहटाएंचारों साधें आर्य !
हाँ , पञ्च मकारी भी कोई बुरा नहीं ..
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