"तुमसे मिलकर न जाने क्युं और भी कुछ याद आता है, आज का अपना प्यार नहीं है, कई जन्मों का नाता है-नाता है।" बस कुछ ऐसा ही प्यार मेरे हृदय में पुष्पित पल्लवित हुआ था। जिसकी याद मुझे आज भी रह-रह कर सताती है। एक टीस सी सीने में हमेशा उठा करती है, रातों को सोते-सोते उठ कर बैठ जाता हूँ, व्याकुल हो जाता हूँ जब तुम्हारी याद सताती है।
तुम्हें गए 18 बरस हो चुके हैं, लेकिन याद आज भी ताजा है, बस तुम्हारी यादों के साए के साथ जिन्दगी बसर हो रही है। ज
ब भी खाली होता हूँ, नजरें शुन्य में ताका करती हैं और तुम्हारा ही अक्स जेहन में उतर आता है, लगता है जैसे कोई अप्सरा स्वर्ग से उतर कर बांध लेगी बाहुपाश में और मैं खो जाऊंगा अपूर्व आनंद के अथाह सागर में। प्रतिदिन यह भ्रम होता है और मैं भ्रमित हो जाता हूँ। बस पागल नहीं हुआ यह कसर रह गई है।
तुम्हें गए 18 बरस हो चुके हैं, लेकिन याद आज भी ताजा है, बस तुम्हारी यादों के साए के साथ जिन्दगी बसर हो रही है। ज
ब भी खाली होता हूँ, नजरें शुन्य में ताका करती हैं और तुम्हारा ही अक्स जेहन में उतर आता है, लगता है जैसे कोई अप्सरा स्वर्ग से उतर कर बांध लेगी बाहुपाश में और मैं खो जाऊंगा अपूर्व आनंद के अथाह सागर में। प्रतिदिन यह भ्रम होता है और मैं भ्रमित हो जाता हूँ। बस पागल नहीं हुआ यह कसर रह गई है।
तुमसे पहली मुलाकात का दिन मुझे याद है, काले रंग का सुट पहने गजब की लग रही थी, स्कूल के मैदान में तुम्हारे साथ चक्कर लगाते हुए ऐसा लग रहा था जैसे आसमान में उड़ता हुआ फ़ायटर प्लेन जगुआर अपने पीछे धुंए की एक लकीर छोड़ जाता है यादों की तरह, ठीक वैसे ही मधुर यादों की एक खुश्बू की लकीर हमारे पीछे भी छूटती जा रही थी।
तुम साथ होती, तब भी बिछुड़ने का डर बना रहता था। जब बि्छुड़ती थी तो मिलने लगन लगी रहती थी। जब स्कूल में तुम्हें मेरे साथ सभी ने देखा था तो उन्हे भी अहसास हो गया था कि अब मैं बड़ा हो गया हो गया हूँ, संभाल सकता हूँ तुम्हारी जिम्मेदारी।
पापा को जब पता चला कि चोरी-चोरी मैं तुम्हे ले जाता हूँ अपने साथ डेट पर, तो एक दो बार डांटा भी और क्रोध से दो-चार डंडे भी लगाए। उनका भी डर सही था यदि गफ़लत में कोई दुर्घटना घट गयी तो क्या होगा? बदनामी के अलावा, खानदान को बट्टा लगेगा सो अलग से।
तुम साथ होती, तब भी बिछुड़ने का डर बना रहता था। जब बि्छुड़ती थी तो मिलने लगन लगी रहती थी। जब स्कूल में तुम्हें मेरे साथ सभी ने देखा था तो उन्हे भी अहसास हो गया था कि अब मैं बड़ा हो गया हो गया हूँ, संभाल सकता हूँ तुम्हारी जिम्मेदारी।
पापा को जब पता चला कि चोरी-चोरी मैं तुम्हे ले जाता हूँ अपने साथ डेट पर, तो एक दो बार डांटा भी और क्रोध से दो-चार डंडे भी लगाए। उनका भी डर सही था यदि गफ़लत में कोई दुर्घटना घट गयी तो क्या होगा? बदनामी के अलावा, खानदान को बट्टा लगेगा सो अलग से।
मैं ढीठ हो गया था किसी की बात या मार का मुझ पर कोई असर नहीं होता था। सबके सोते ही धीरे से गेट खोलता और फ़िर चल पड़ता मंत्रमुग्ध सा तुम्हारी ओर, जब तुम्हारे साथ होता तो मैं मिटा देना चाहता था कदमों के निशान, जिसे किसी को पता न चले हम किस ओर चले गए। कोई निशान बाकी न रहे हमारे पीछे शिनाख्त का। बस चोरों जैसी हालत समझिए, दबे पांव चलना पड़ता था कि कोई जाग न जाए।
किसी कवि ने कहा है- "जब सन्नाटे की चादर ओढे सोए सारा गांव, पैर की पायल खोल के अपने पिया से मिलने जाउं, सीना मेरा घायल कर दे सांसों की तलवार"- बस कुछ ऐसी ही हमारी हालत थी। जब भी मौका मिलता तुम्हे ले भागता, तुम भी तैयार रहती थी हमेंशा, मेरे साथ जाने के लिए, क्या वे दिन थे। बस उन दिनों की यादों के सहारे ही जी रहा हूँ।
किसी कवि ने कहा है- "जब सन्नाटे की चादर ओढे सोए सारा गांव, पैर की पायल खोल के अपने पिया से मिलने जाउं, सीना मेरा घायल कर दे सांसों की तलवार"- बस कुछ ऐसी ही हमारी हालत थी। जब भी मौका मिलता तुम्हे ले भागता, तुम भी तैयार रहती थी हमेंशा, मेरे साथ जाने के लिए, क्या वे दिन थे। बस उन दिनों की यादों के सहारे ही जी रहा हूँ।
एक दिन पापा ने कहा कि जब तुम जब बालिग हो जाओगे तो तुम्हे डेट ले जाने की छूट होगी, तुम जहां चाहे उसे ले जा सकते हो। फ़िर तो हमने लगन से पढाई की तीन महीने और प्रथम श्रेणी में स्थान बना लिया।
जब कालेज में भर्ती हुए तो बालिग हो चुके थे, उसके साथ डेट पर जाने लगे। उसकी सुंदरता और सुघड़ता देख कर हमारे सीनियर्स की भी जलने लगती थी। वे भी सोचते थे कि उसका सानिध्य कभी उन्हे मिल पाता। उसके चक्कर में वे मेरे से दोस्ती गांठने लगे।
मैं समझ गया था कि सीनियर्स मुझ पर क्यों मेहरबान हैं? मैं उसे किसी की नजर न लगने देना चाहता था। जब उसने लाल सुट पहना था तब से एक काला टीका उसे कहीं लगा देता था।
उस समय लाल सुट का बहुत ज्यादा फ़ैशन चला हुआ था। अब तो खुले आम उसके साथ घुमने का मुझे लायसेंस मिल चुका था। बस मैं कुछ नहीं था मे्रा वजूद खत्म हो गया था,बस वह ही वह थी और मैं कहीं नहीं था।
जब कालेज में भर्ती हुए तो बालिग हो चुके थे, उसके साथ डेट पर जाने लगे। उसकी सुंदरता और सुघड़ता देख कर हमारे सीनियर्स की भी जलने लगती थी। वे भी सोचते थे कि उसका सानिध्य कभी उन्हे मिल पाता। उसके चक्कर में वे मेरे से दोस्ती गांठने लगे।
मैं समझ गया था कि सीनियर्स मुझ पर क्यों मेहरबान हैं? मैं उसे किसी की नजर न लगने देना चाहता था। जब उसने लाल सुट पहना था तब से एक काला टीका उसे कहीं लगा देता था।
उस समय लाल सुट का बहुत ज्यादा फ़ैशन चला हुआ था। अब तो खुले आम उसके साथ घुमने का मुझे लायसेंस मिल चुका था। बस मैं कुछ नहीं था मे्रा वजूद खत्म हो गया था,बस वह ही वह थी और मैं कहीं नहीं था।
यह सिलसिला चलता रहा कई साल, एक दिन उसकी तबियत अचानक खराब हो गयी, दिल वाले को दिल की बीमारी हो गयी, डॉक्टर ने बताया कि उसके वाल्व बदलने पड़ेगें, किडनी में भी गंभीर समस्या है, ओपन हार्ट सर्जरी करनी पड़ेगी। ठीक तो हो जाएगी, खर्चा बहुत आएगा ।
पत्नी का इलाज हो तो घर के लोग भी रुपया पैसा से सहायता कर सकते थे। मैं उनसे हक से मांग सकता था लेकिन जब बात प्रेमिका की हो तो मैं किस मुंह से मांगता ? मैने डॉक्टर से कहा कि कुछ दिन वेंटिलेटर पर रखिए तब तक मैं रुपए का इंतजाम करता हूँ।
उपरवाले के यहां देर है अंधेर नहीं है, मेरे एक मित्र ने मेरी व्याकुलता को समझा और मुझे कुछ रुपए दिए, जिसमें मैने अपनी जमा पूंजी मिलाई और डॉक्टर को दी, जल्द से जल्द अब आपरेशन शुरु करने कहा। डॉक्टर उसे आपरेशन थिएटर में मंगवा लिया। मैं वहां बैठा हुआ कुशलता की कामना किए जा रहा था।
पत्नी का इलाज हो तो घर के लोग भी रुपया पैसा से सहायता कर सकते थे। मैं उनसे हक से मांग सकता था लेकिन जब बात प्रेमिका की हो तो मैं किस मुंह से मांगता ? मैने डॉक्टर से कहा कि कुछ दिन वेंटिलेटर पर रखिए तब तक मैं रुपए का इंतजाम करता हूँ।
उपरवाले के यहां देर है अंधेर नहीं है, मेरे एक मित्र ने मेरी व्याकुलता को समझा और मुझे कुछ रुपए दिए, जिसमें मैने अपनी जमा पूंजी मिलाई और डॉक्टर को दी, जल्द से जल्द अब आपरेशन शुरु करने कहा। डॉक्टर उसे आपरेशन थिएटर में मंगवा लिया। मैं वहां बैठा हुआ कुशलता की कामना किए जा रहा था।
पूरे तीन घंटे हो चुके थे, अभी तक कोई समाचार नहीं आया था अंदर से। कम्पाउंडर आ जा रहे थे, कुछ कुछ सामान ला रहे थे। फ़िर पांच घंटे हो गए, मैं उनसे विकल हो कर पूछता था कि क्या हो रहा है?
वो कहते थे आपरेशन चल रहा है, बहुत खराबी है। सुबह 10 बजे से आपरेशन शुरु हुआ था, अस्पताल का पूरा अमला लगा हुआ था।
रात के नौ बज रहे थे, घर जाना था। मुझसे रहा नहीं गया, जबरदस्ती दरवाजा खोल के अंदर घुस गया। मुझे अचानक अंदर आए देखकर सब भौंचक होकर चौकन्ने हो गए। अंदर का हाल दिल दहला देने वाला था। अगर मेरे पास गन रहती तो सबको गोली मार कर मैं फ़ांसी पर लटक जाता। बेरहमी और क्रुरता की पराकाष्ठा हो थी। उस हादसे के बाद सारे डॉक्टर सुधर जाते।
वो कहते थे आपरेशन चल रहा है, बहुत खराबी है। सुबह 10 बजे से आपरेशन शुरु हुआ था, अस्पताल का पूरा अमला लगा हुआ था।
रात के नौ बज रहे थे, घर जाना था। मुझसे रहा नहीं गया, जबरदस्ती दरवाजा खोल के अंदर घुस गया। मुझे अचानक अंदर आए देखकर सब भौंचक होकर चौकन्ने हो गए। अंदर का हाल दिल दहला देने वाला था। अगर मेरे पास गन रहती तो सबको गोली मार कर मैं फ़ांसी पर लटक जाता। बेरहमी और क्रुरता की पराकाष्ठा हो थी। उस हादसे के बाद सारे डॉक्टर सुधर जाते।
आपरेशन थियेटर के अंदर का नजारा देखिए, आपरेशन टेबल पर मेरी प्रियतमा सोई है, उसका सीना चीरकर खोला हुआ है , अंदर के सारे अंग दिख रहे हैं, पास ही आपरेशन के सारे औजार सने हुए पड़े हैं।
मुख्य सर्जन आराम कुर्सी पर आराम की मुद्रा में टेबल पर पैर रख कर अधलेटा है, उसके सामने गिलास में आधा पैग डला , कुछ चखना टेबल पर प्लेट में पड़ा था। विल्स सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए कर्नल रंजीत का जासुसी उपन्यास पड़ रहा था। कम्पाउंडर भी अपना-अपना पव्वा खोले लगे हुए थे।
आपरेशन थियेटर धुंआ -धुआ हो रहा था। मेरी प्रेमिका आपरेशन टेबल पर पड़ी अपनी सांसे गिन रही थी। यह दृश्य मुझसे देखा नहीं गया, मैं ही क्यों? कोई भी नहीं देख सकता। मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ गया था। क्रोध से मैं पागल हो गया,
आपरेशन थियेटर पर पड़े काटने के औजार को उठा लिया और मुख्य सर्जन को दो तमाचे लगाए। अप्रत्याशित रुप से घटी इस घटना से सबको सांप सुंघ गया। अब मैने मोर्चा संभाल लिया था। जो कुछ होगा मेरे सामने ही होगा। सारे काम में लग गए।
मुख्य सर्जन आराम कुर्सी पर आराम की मुद्रा में टेबल पर पैर रख कर अधलेटा है, उसके सामने गिलास में आधा पैग डला , कुछ चखना टेबल पर प्लेट में पड़ा था। विल्स सिगरेट के छल्ले उड़ाते हुए कर्नल रंजीत का जासुसी उपन्यास पड़ रहा था। कम्पाउंडर भी अपना-अपना पव्वा खोले लगे हुए थे।
आपरेशन थियेटर धुंआ -धुआ हो रहा था। मेरी प्रेमिका आपरेशन टेबल पर पड़ी अपनी सांसे गिन रही थी। यह दृश्य मुझसे देखा नहीं गया, मैं ही क्यों? कोई भी नहीं देख सकता। मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर चढ गया था। क्रोध से मैं पागल हो गया,
आपरेशन थियेटर पर पड़े काटने के औजार को उठा लिया और मुख्य सर्जन को दो तमाचे लगाए। अप्रत्याशित रुप से घटी इस घटना से सबको सांप सुंघ गया। अब मैने मोर्चा संभाल लिया था। जो कुछ होगा मेरे सामने ही होगा। सारे काम में लग गए।
दिल में वाल्व डाला जा चु्का था। डॉक्टरों ने कहा कि उसे गहन निगरानी में 5 दिन रखा जाएगा। फ़िर आप घर ले जा सकते हो, छुट्टी दे दी जाएगी। मैने 5 दिनों तक लगातार ड्यूटी दी और हाल चाल जानता रहा । किडनी ठीक-ठाक काम करने लगी थी। समस्या हार्ट की ही थी। 5 दिनों बाद छुट्टी मिली,
मैं खुशी-खुशी उसे घर ले आया। तब से लेकर मेरे विवाह होने के बाद तक मेरे साथ रही। फ़िर एक दिन वह चली गयी, मुझे छोड़कर, तब से लेकर आज तक उसके प्यार में व्याकुल हूँ। कभी एक हूक सी दिल में उठती है कि उसे फ़िर ले आऊं। ले्किन जमाने के चलन को देखते हुए अब असंभव सा लगता है, लेकि्न हम जिये जा रहे हैं उनकी यादों के सहारे।
मैं खुशी-खुशी उसे घर ले आया। तब से लेकर मेरे विवाह होने के बाद तक मेरे साथ रही। फ़िर एक दिन वह चली गयी, मुझे छोड़कर, तब से लेकर आज तक उसके प्यार में व्याकुल हूँ। कभी एक हूक सी दिल में उठती है कि उसे फ़िर ले आऊं। ले्किन जमाने के चलन को देखते हुए अब असंभव सा लगता है, लेकि्न हम जिये जा रहे हैं उनकी यादों के सहारे।
गालिब ने भी कहा है कि.......
दिल ही तो न के संगो खिश्त, दर्द से भर न आए क्युं।
रोयेगें हम हजार बार , कोई हमे मनाए क्युं।
हम भी कहते हैं..........
पुरानी चोट का दर्द कभी न कभी उभर आता है,
जिस तरह स्याह रातों में कोई दिया जल जाता है।
सलाम है उस ईश्क को जिसने मरने नहीं दिया।
शब-ए-रोज उसकी याद में परवाने सा जल जाता हूँ।
क्या involving कहानी है । पर क्या हमारे अस्पतालों का यही हाल है ?
जवाब देंहटाएंरोचक ।
जवाब देंहटाएंललित भाई
जवाब देंहटाएंयह तो बड़ी जबरदस्त किस्म की प्रेम कहानी है
कहानी को एक ही झटके में पढ़ गया रे भाई
अब मैडमजी कहां है जरा बताने का कष्ट करेंगे क्या
बाप रे... कौन थे वो डाक्टर
डाक्टर थे या
लगता है मैं सदमे में हूं
सदमे से उबर गया हूं जब पता चला कि मामला कुछ और है
जवाब देंहटाएंलेकिन भाई ऐसा मजाक...
मैं तो वाकई परेशान हो गया था
खैर.. सुबह-सुबह डराने और फिर डराकर हंसाने का शुक्रिया
पुरानी चोट का दर्द कभी न कभी उभर आता है,
जवाब देंहटाएंजिस तरह स्याह रातों में कोई दिया जल जाता है।
-और यहाँ यादों का दिया जल गया... बेहतरीन!
आपकी लम्बी प्रेम कहानी को शाम को पढ़कर फिर बात करेंगे ।
जवाब देंहटाएंअजब प्रेम की गजब कहानी - अच्छा लगा पढ़कर - हाँ डाक्टरों की हृदयहीनता के दृश्य आपने जो खींचे - विचलित कर गया।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman. blogspot. com
आश्चर्य होता है कि डॉक्टर के रूप में ऐसे नर राक्षस भी होते हैं!
जवाब देंहटाएंआपने तो भावनाओं में बहा कर रख दिया ललित जी पर जब आपके मोहब्बत का राज जानने के लिये जब क्लिक किया तो...
जवाब देंहटाएंहा हा हा....
बड़ी खूबसूरत प्रेमिका थी आपकी!
मान गये उस्ताद!!!
महराज पाय लगी। ये परेम कहानी मा जबरदस्त तमाचा परे हे चिकित्सा सेवा से जुड़े सेवा देवैया ऊपर। बाकी अब अत्तेक बखर बीत गे हे ये शुद्ध सहज परेम प्रसंग ला त जानत हौं, अब महराजिन ला काहीं फ़रक़ नई पड़ै। एकदम मर्मांतक कथा/व्यथा लिखे हस भाई। जय जोहार्………… मंहू एकेच सांस म पढ़ डरेंव।
जवाब देंहटाएंसरसरी निगाहों से पढ़ा गया, निष्कर्ष अभी बाकी है क्योंकि, सीरियसली पढ़ने को अभी पूरी रात बाकी है जय जोहार………अभी ले नई पारौं गोहार ………
जवाब देंहटाएंराज़ जानने के लिए क्लिक बाद में करेंगे...पहले अनुमान बता दें...यह ज़रूर आपकी बाईक रही होगी....अब क्लिक करके देख लेते हैं
जवाब देंहटाएंभाई ललित धीरे-धीरे चलती कहानी ऐसी रफ्तार पकड़ लेगी मुझे अन्दाजा नहीं था. अगर मैं सजग नहीं होता तो पता नहीं मेरी हड्डी--पसली का क्या हुआ होता. आप के साथ मैं भी लुढ़कते-लुढ़्कते बचा. चलिये आप की चोट भी ज्यादा खतरनाक नहीं है. मन हो तो ले न आइये फिर से।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी तो बड़ी स्मार्ट निकली। पूरा वाकया पढ गए, अस्पताल की स्थिति पढकर लगा कि कहीं न कहीं कुछ पेच है। ऐसा तो कहीं होता नहीं है। लेकिन ललित भाई मजाक अच्छा कर लेते हैं।
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
अजब प्रेम की गजब कहानी।
जवाब देंहटाएंजब जाना तो हुई हैरानी।
बहुत मजेदार ललित भाई - सचमुच मजा आ गया।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
काले सूट में भी एक फोटो लगा देते जी इस परी की
जवाब देंहटाएंप्रणाम
दादा,
जवाब देंहटाएंजय जोहार !
आज तो आपने १२ जुलाई को ही १ अप्रैल माना दी !! कमेन्ट देख कर तो यह लगता है कि काफी लोगो ने पोस्ट पूरी पढ़ी भी नहीं है !
वैसे इस में उनकी कोई गलती भी नहीं है.......... आपने जिस अंदाज़ में पोस्ट को लिखा है कोई भी भर्मित हो सकता है ! वैसे आपकी प्रेमिका है बड़ी सुन्दर.........सिनियर्स को जाने दीजिये मेरे जैसे जूनियर भी फ़िदा हो गए उन पर तो !!
दादा,
जवाब देंहटाएंजय जोहार !
आज तो आपने १२ जुलाई को ही १ अप्रैल माना दी !! कमेन्ट देख कर तो यह लगता है कि काफी लोगो ने पोस्ट पूरी पढ़ी भी नहीं है !
वैसे इस में उनकी कोई गलती भी नहीं है.......... आपने जिस अंदाज़ में पोस्ट को लिखा है कोई भी भर्मित हो सकता है ! वैसे आपकी प्रेमिका है बड़ी सुन्दर.........सिनियर्स को जाने दीजिये मेरे जैसे जूनियर भी फ़िदा हो गए उन पर तो !!
ऐसा गम्भीर मज़ाक अगर मज़ाक मज़ाक मे heart फ़ेल हो जाता तो?
जवाब देंहटाएंआप का लिखा ये (कौन थी वह? राज जानने यहां क्लिक करें)...तो दिखा ही नहीं हम हक्के बक्के से खड़े रह गए बस कि ऐसा भी होता है ....बाद में टिप्पणियों से पता चला कि माजरा कुछ और है ...उफ़...सुबह सुबह डराया भी और हंसाया भी .
जवाब देंहटाएं@ shikha varshney
जवाब देंहटाएंआशा है कि आप (यहां क्लिक करें) पर उनसे मिल आई होगीं।
उफ़ ! यूँ सरेआम प्रेम प्रदर्शन !!! ... क्या करें माशूका की सूरत ही ऐसी है कि भूले नहीं भूलती ...
जवाब देंहटाएंबाई द वे ... पर्सनल प्रश्न .... कितनीवीं माशूका के साथ हैं आजकल :)
aapke mijaj ko dekh kar samajh gaya tha ki mamla me koi pech hai.. lekin aapne poora padhva hi liya ! bahut sunder.. aur aapki maashuka ke kya kehne... aaj bhi meri BSA SLR cycle khadi hai mere intjaar me aur main jaata hoo apne gaon to bade pyar se use saaf suthra kar aataa hoo.... pehla pyar hota hi aisa hai!
जवाब देंहटाएंकल नए चिट्ठों का स्वागत करते हुए आपकी प्रियतमा से मिलने का मौका मिला .. तब समझ में आया सारा माजरा .. पर टिप्पणी करने का मौका ही न मिला .. बडी मजेदार पोस्ट है .. मुझे तो आपने पूरा छका दिया !!
जवाब देंहटाएंशुरू का कुछ हिस्सा पढ़कर हम तो समझ गए थे कि कौन हो सकती है ।
जवाब देंहटाएंभला दिल के राज़ कोई ऐसे भी खोलता है ।
बहुत दिलचस्प तरीके से चोंकाया सबको ।
हमारे आस धड़ धड़ वाली बुल्लेट होती थी ।
बड़ी जबरदस्त किस्म की प्रेम कहानी है
जवाब देंहटाएंगुरुवार आपने तो हिला ही दिया था...... ;-)
जवाब देंहटाएंwaah ji doctors ki aisi taisi karne ke baa asliyat ka pata chalaa
जवाब देंहटाएंसुरक्षित कर लिया रात में पढ़ा जाएगा.. :P
जवाब देंहटाएंबड़ी लौह - प्रेमिका का दर्शन कराया आपने !
जवाब देंहटाएंमान गए आप लौह पुरुष है !
वाह लाजवाब रहा ये वाकया तो.
जवाब देंहटाएंरामराम.
हम तो समझ गये महाराज, मोटर साईकिल ही होगी आपकी। वैसे तो भेद खुल गया है टिप्पणियों से, पर हमें भी तो अपना ज्ञान छांटना था। मोटर साईकिल को लॉक किया जाये।
जवाब देंहटाएंआप की प्रेमिका को तो देख लिया, लेकिन पढते पढ्ते इतना तो पता लग गया था कि यह वो वाली नही... क्योकि किसी मै हिम्मत नही जो इस तरह सच सच बोल दे, लेख पर एक बार भी बीबी की नजर पढ गई तो.......
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं
दुष्ट! ऐसे डराते हैं क्या?
जवाब देंहटाएं'क्लिक' नही करती तो बहुत रोटी,बहुत भावुक किस्म की हूँ मैं और ' प्रेम' के नाम पर तो बहुत ज्यादा.मेरे लिए ईश्वर प्रेम और प्रेम ही इश्वर है. मैं बच्चे ,बुड्ढे,जवान,औरत,आदमी,स्कूल से ,अपने काम से सबसे बहुत प्यार करती हूँ.और एक आप हैं टीनेज में मोटर स्सैकिल से प्यार हुआ,ठीक है पर थियेटर के भीतर का वर्णन.......बाप रे!
पक्के दुष्ट हो रे बाबा ललित भैया आप तो.
Lalit ji wakai post kafi lazvab rahi.........aapke is prem kahani ko man lagakar sabne padha , maine bhi .......aur mil aaye aapki premika se,
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! क्या बात है ,पूरी प्रेम कहानी पढ़ गई और उस कहानी में अपने माता - पिता को खोजती रही मेरी माँ के जाने के १६ साल बाद मेरे पिता का देहांत हुआ और कुछ ऐसा ही लगाव था उन्हें मेरी माँ से . रोटी रही . एक साँस में साडी कहानी पढ़ गई लेकिन ये क्या आप ने तो बम फोड़ दिया हंसती है उठी और मेरे घर जो कम करतीहै दंग थी . दिल का दोरा नहीं पढ़ा . शायद अभी आपकी बहुत सी ऐसी कहानी पढने के लिए इश्वर ने बचा लिया .
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! क्या बात है ,पूरी प्रेम कहानी पढ़ गई और उस कहानी में अपने माता - पिता को खोजती रही मेरी माँ के जाने के १६ साल बाद मेरे पिता का देहांत हुआ और कुछ ऐसा ही लगाव था उन्हें मेरी माँ से . रोटी रही . एक साँस में साडी कहानी पढ़ गई लेकिन ये क्या आप ने तो बम फोड़ दिया हंसती है उठी और मेरे घर जो कम करतीहै दंग थी . दिल का दोरा नहीं पढ़ा . शायद अभी आपकी बहुत सी ऐसी कहानी पढने के लिए इश्वर ने बचा लिया .
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! क्या बात है ,पूरी प्रेम कहानी पढ़ गई और उस कहानी में अपने माता - पिता को खोजती रही मेरी माँ के जाने के १६ साल बाद मेरे पिता का देहांत हुआ और कुछ ऐसा ही लगाव था उन्हें मेरी माँ से . रोटी रही . एक साँस में साडी कहानी पढ़ गई लेकिन ये क्या आप ने तो बम फोड़ दिया हंसती है उठी और मेरे घर जो कम करतीहै दंग थी . दिल का दोरा नहीं पढ़ा . शायद अभी आपकी बहुत सी ऐसी कहानी पढने के लिए इश्वर ने बचा लिया .
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! क्या बात है ,पूरी प्रेम कहानी पढ़ गई और उस कहानी में अपने माता - पिता को खोजती रही मेरी माँ के जाने के १६ साल बाद मेरे पिता का देहांत हुआ और कुछ ऐसा ही लगाव था उन्हें मेरी माँ से . रोटी रही . एक साँस में साडी कहानी पढ़ गई लेकिन ये क्या आप ने तो बम फोड़ दिया हंसती है उठी और मेरे घर जो कम करतीहै दंग थी . दिल का दोरा नहीं पढ़ा . शायद अभी आपकी बहुत सी ऐसी कहानी पढने के लिए इश्वर ने बचा लिया .
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! क्या बात है ,पूरी प्रेम कहानी पढ़ गई और उस कहानी में अपने माता - पिता को खोजती रही मेरी माँ के जाने के १६ साल बाद मेरे पिता का देहांत हुआ और कुछ ऐसा ही लगाव था उन्हें मेरी माँ से . रोटी रही . एक साँस में साडी कहानी पढ़ गई लेकिन ये क्या आप ने तो बम फोड़ दिया हंसती है उठी और मेरे घर जो कम करतीहै दंग थी . दिल का दोरा नहीं पढ़ा . शायद अभी आपकी बहुत सी ऐसी कहानी पढने के लिए इश्वर ने बचा लिया .
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! क्या बात है ,पूरी प्रेम कहानी पढ़ गई और उस कहानी में अपने माता - पिता को खोजती रही मेरी माँ के जाने के १६ साल बाद मेरे पिता का देहांत हुआ और कुछ ऐसा ही लगाव था उन्हें मेरी माँ से . रोटी रही . एक साँस में साडी कहानी पढ़ गई लेकिन ये क्या आप ने तो बम फोड़ दिया हंसती है उठी और मेरे घर जो कम करतीहै दंग थी . दिल का दोरा नहीं पढ़ा . शायद अभी आपकी बहुत सी ऐसी कहानी पढने के लिए इश्वर ने बचा लिया .
जवाब देंहटाएंbahut khoob
जवाब देंहटाएंआपकी इस कहानी को पढ़कर म़जा आ गया
जवाब देंहटाएंhindustanvichar.blogspot.com
बड़ी जबरदस्त किस्म की प्रेम कहानी है
जवाब देंहटाएंखैर मांगा सोन्या मै तेरी दुआ ना कोई होर मंगदा .....
एक्सीडेंट तो नहीं हुआ रब्बा.
जवाब देंहटाएंmaan gae ..kya khubsurt kahani thi? raj khulte hi maja aa gaya hihihihihihihi...
जवाब देंहटाएंबहूत खूब प्रेम आपका , बहुत खूब आपकी प्रेमिका !
जवाब देंहटाएंकुछ आपकी सुनी ,कुछ हाल सुना जावा के दिल का !!
अंत में समझ यही आया क्यूँ न ये कहानी दोहराईं जाये !
आप उस ज़माने की जावा थे लाये , हम बस पेशन ले आये !
यह भी तो बतायें वो छोड़कर गयी कैसे?
जवाब देंहटाएंअजब प्रेम की गजब कहानी
जवाब देंहटाएंअजब प्रेम की गजब कहानी
जवाब देंहटाएं