बुधवार, 9 जून 2010

कविता संग्रह विमोचन में तीन ब्लागर

कवि आनंद अतृप्त के कविता संग्रह का विमोचन था। इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर गिरीश पंकज जी आमंत्रित किया था। गिरीश भाई हमें और राजकुमार सोनी जी को भी साथ में ले गए।

आनंद अतृप्त जी प्रख्यात रंगकर्मी हैं, इन्होने कविता के क्षेत्र में भी हाथ आजमाया है। किसी कवि के कविता संग्रह के विमोचन समारोह में उपस्थित होना गर्व की बात है क्योंकि कवि का लिखा हुआ उसके जीवन की अमुल्य निधि होता है।

इस अवसर पर सम्मिलित होने से कवि का उत्साह बढता है। रायपुर से हम चले तो 4 बजे थे, विमोचन समारोह 7/30 पर था, साथ ही कवि सम्मेलन भी रखा गया था। इसलिए हमने अन्य ब्लागर से भी मिलने का वि्चार बनाया था।

सिविक सेंटर में पहुंचने पर राजकुमार सोनी जी को खुशदीप भाई के साथ खाई हुयी हमारी आईसक्रीम याद आ गयी। कहने लगे आईसक्रीम खाएंगे। वहीं सिविक सेंटर में एक आईसक्रीम पार्लर भी है।

आईसक्रीम पार्लर में पहुंच कर पाबला जी को फ़ोन लगाया, वे ड्यूटी में फ़ंसे हुए थे। बताया कि रात के 10बजे छुट्टी होगी। हमने सूर्यकांत गुप्ता जी को फ़ोन लगाया तो वे सपरिवार रास्ते में ही थे। उन्होने कहा कि बस पहुंचते ही हैं।

तब तक हमने आईसक्रीम का आर्डर दे दि्या। हमने कहा करंट तो वेटर लेकर आया ब्लेक करंट हमारे लिए और राजकुमार सोनी जी के लिए, गिरीश भाई के लिए ड्राई फ़्रुट वाली आईसक्रीम आई। हमें तो आईसक्रीम खाते ही करंट लगने लगा था। गिरीश भाई देख रहे थे कि कोई ज्यादा ही आनंद वाली आईसक्रीम है, बोले-खूब मजा आ रहा है।

हमने कहा-जी झटके पर झटके आ रहे हैं, आप भी एक ब्लेक करंट लिजिए और झटकों का आनंद उठाईए। तब तक सूर्यकांत गुप्ता जी भी पहुंच जाएंगे।

राजकुमार भाई अब कोन में आइसक्रीम लेकर आए। लेकिन फ़्लेवर बदल दिया था। अबकि बार करंट गिरीश भाई के लिए था। उन्होने भी ब्लेक करंट का मजा लिया। यहां से झटका खाते हुए, अब पहुंच गए प्रसिद्ध गिलौरी वाले पान की दुकान की तरफ़।

ज्ञात हो कि राजकुमार सो्नी जी बचपन और युवापन भिलाई में ही बीता है, रंगकर्म के साथ-साथ साहित्यकारों और कवियों में भी इनकी अच्छी पैठ है। अब ये हमें उन दिनों की यादे सुनाने लगे और मेरा हंसते-हंसते जबड़ा दर्द करने लगा।

मैने कहा भाई जरा रुक जाओ सांस लेने दो। जबड़ा दर्द करने लगा है। लेकिन ये तो चालू ही रहे। हम जबड़ा पकड़ कर हंसते रहे। कभी आपको भी सु्नाएंगे, बड़ा मजा आएगा।

गुप्ता जी गुप्तैईन भाभी जी को लेकर उमड़त-घुमड़त विचारों के साथ पहुंच गए थे। उनको देखते ही ऐसा लगा कि जैसे भीषण गर्मी से झुलसे हुए पेड़ पर पावस की ठंडी बयार-फ़ुहार आ गयी हो।

अब फ़िर शुरु हो गया  ठहाकों का दौर। बस जीवन का आनंद यही है, मिलो तो दिल से मिलो और हंस के जुदा हो, यही सार है। इसके बाद एक फ़ोटो सेशन हुआ सबके साथ। गुप्ता जी के साथ बेटी भी थी, मैं नाम भूल रहा हुँ उनका। बढिया मिलन रहा ।

तभी गिरीश भाई के पहचान के बक्षी जी पहुंच चुके थे हमें उनके घर भी जाना था। गुप्ता जी को सैल्युट कर हम निकल पड़े रिसाली की तरफ़, वहीं बक्षी जी का घर है।

सरिता सतीश बक्षी
सरिता सतीश बक्षी
सरिता सतीश बक्षी मुलत: मराठी भाषी लेखिका हैं, मराठी में लिखती हैं तथा सद्भावना दर्पण में उनकी मराठी से हिंदी अनुवाद की हुयी रचनाएं प्रकाशित होती है। गिरीश भैया के साथ इनसे भी भेंट हुयी। लेखन के प्रति इनका समर्पण भी कमाल का है।

मराठी साहित्यिक पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशि्त होती हैं, मराठी भाषा के कई सम्मान एवं सत्कार भी इन्हे प्राप्त हुए हैं। एक सामान्य गृहणी के द्वारा किया गया लेखन समाज के सभी पक्षों को बखुबी सामने रखता है।

थोड़े से समय में इनकी कविताएं एवं लेखों पर एक सरसरी निगाह ही डाल पाया। अब समय मिलने पर इन्हे पढते रहेंगे। यहां सरिता जी ने डटकर नास्ता करवा दिया। इनसे चर्चा चल ही रही थी तब तक आनंद अतृप्त जी के फ़ोन आने प्रारंभ हो गए। हम अब चल पड़े थे आयोजन स्थल की ओर..................

15 टिप्‍पणियां:

  1. बिहानिया के पैलगी महराज। फोटो देखैया मन गदगद होगे। लेकिन मोर नोनी जेखर नाव हे "सुरभि" (वैसे हमर चारों के नाव मा "सुर" लगे हे (1) सूर्यकान्त (2) सुरेखा (3) सुरभि (4) सुरम्य) के फोटू हा गायब हे अभी ओ हा देखही त का कैही। बने लगा डारे हस। अभी सो उठ के पहिली उही ल देखत हौ। धन्यवाद!

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  2. अरे भाई थोर किन देर अउ अगोर लेतेव त तुहर आइसक्रीम के झटका नइ मोर डहर ट्रान्स्फर हो जातिस्। काब्रर तुही मन झटका खायेव्।

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  3. मीठी
    आपकी लेखन वाणी
    और
    आईसक्रीम भी।

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  4. ...चलने दो सुपर-डुपर हिट फ़िल्म की शूटिंग चलने दो ... कभी दिल्ली ... कभी रायपुर ... आज भिलाई ... बहुत सुन्दर ...क्लाईमेक्स के समय हमारी भी इंट्री हो जायेगी ... तब तक ... बधाईंया !!!!

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  5. ललित भाई,
    इच्छाभेदी प्रकरण का वर्णन करने के पहले मुझसे बात कर लेना... और भी दो-तीन प्रकरण है उन्हें एक साथ जोड़ लोगे तो अच्छा रहेगा।
    और हां....
    जब मैंने वासुकिप्रसाद उन्मत जी को बताया कि उसमें वो है तो पहले बहुत नाराज हुए। बोले यह तो अराजकता है, लेकिन एक दिन राजहरा में कवि सम्मेलन था वहां इस कवि को घटिया कवियों ने कविता नहीं पढ़ने दी जब मुझे पता चला कि उनके साथ राजहरा में अच्छा व्यवहार नहीं हुआ है तो वे बोले घटिया कवियों को तेजाब पिला देना चाहिए। उस रोज आपने ठीक किया था।

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  6. आपके संस्मरण से सारी गतिविधियां पता चलती रहती हैं.....रोचक

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  7. kyaa baat hai,... vaah. itanaa sab yaad rakhanaa aur use likhanaa badee baat hai. har kisi mey yah pratibha nahi hoti.

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  8. अच्छा याद दिलाया । हम भिलाई १९९३ में गए थे । और स्टील प्लांट भी देखा था ।

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  9. हम चूक गए उस शाम आप सभी का साथ पाने से :-(

    खैर, हो सकता है अगली मुलाकात ज़ल्द ही हो

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  10. भूल जाते हो कि दुर्ग मे एक शरद कोकास भी है ? क्यों ?

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