गृहणियों के लिए आज एक खुशखबरी का दिन है, हमारे कृषि वैज्ञानिकों ने चावल की एक ऐसी किस्म विकसित की है जिसे खाने के लिए पकाने की आवश्यकता नहीं है.
यह किस्म कटक के केंद्रीय चावल अनुसन्धान संसथान ने विकसित की है.
संसथान के निदेशक ने आई.एन.एस. को बताया है कि इस चावल के नई किस्म से उपभोक्ता चावल तुंरत बिना किसी झंझट के पका लेंगे,
इस किस्म (अग्नि बोरा) का १४५ दिन परिक्षण किया गया, इसकी पैदावार भी ४ से ४.५० हेक्टेयर प्रति एकड़ है,जो अन्य किस्मों के बराबर ही है.
केंद्र निदेशक तपन कुमार का कहना है कि यह चावल सादा पानी में ४५ मिनट तक भिगोने एवं गरम पानी में १५ मिनट भिगोने से खाने के योग्य हो जाता है.
जबकि चावल की अन्य किस्मों को पकाने की आवश्यकता होती है,यह चावल असम के स्थानीय चावल (कोमल चावल) की उन्नत किस्म है, इसमें कोई अनुवंसिक परिवर्तन नहीं किया गया है.
यह किस्म कटक के केंद्रीय चावल अनुसन्धान संसथान ने विकसित की है.
संसथान के निदेशक ने आई.एन.एस. को बताया है कि इस चावल के नई किस्म से उपभोक्ता चावल तुंरत बिना किसी झंझट के पका लेंगे,
इस किस्म (अग्नि बोरा) का १४५ दिन परिक्षण किया गया, इसकी पैदावार भी ४ से ४.५० हेक्टेयर प्रति एकड़ है,जो अन्य किस्मों के बराबर ही है.
केंद्र निदेशक तपन कुमार का कहना है कि यह चावल सादा पानी में ४५ मिनट तक भिगोने एवं गरम पानी में १५ मिनट भिगोने से खाने के योग्य हो जाता है.
जबकि चावल की अन्य किस्मों को पकाने की आवश्यकता होती है,यह चावल असम के स्थानीय चावल (कोमल चावल) की उन्नत किस्म है, इसमें कोई अनुवंसिक परिवर्तन नहीं किया गया है.
badhiya samachar hai.eendhan ki bhi bachat hogi.
जवाब देंहटाएंghughutibasuti
धन्यवाद मिर्जे जी,आप फ़िर आये,आपका स्वागत है,
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