राजधानी में सार्वजनिक स्थल पर धुम्रपान निषेध का उल्लंघन करने पर पिछले एक साल में ४६ हजार लोगों पर जुर्माना लगा कर ४० लाख रूपये वसूले गए.
पिछले साल केंद्रीय सवास्थ्य मंत्रालय ने २ अक्तूबर को देश भर में सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर रोक लगाई थी.
वलियेंट्री हेल्थ ओर्गेनैजेशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से ये जानकारी दी गई, सार्वजनिक स्थलों पर धुम्रपान करने पर २०० रूपये जुर्माने का प्रावधान है.
इसका सीधा-सीधा मतलब है कि गत वर्ष ४६ हजार लोगों ने राजधानी में ये जानते हुए कानून तोडा की पकडे गए तो जुरमाना भर देगें।
ये आंकड़े इनके रिकार्ड में है, जो रिकार्ड में नही है उनकी संख्या का अंदाजा आप लगा सकते है, कितने ही रूपये इन कानून के रखवालों की जेब में गये होंगे?
२०० का जुरमाना देने की बजाय ५० देके ही पीछा छुडायेगा ना. फिर भी १५० की बचत.
जब पता है कि यहाँ पर धुम्रपान निषेध है तो वहां पर नही करना चाहिए. लेकिन लोग कानून हाथ में इसलिए लेते है जो होगा देखा जायेगा, जुर्माना ही तो लेगा, कोई फांसी पे थोडी चढ़ाएगा।
एक बार मै ट्रेन में आ रहा था,तो गोंदिया के पास टीटीयों का उड़न दस्ता चढा, एक आदमी सिगरेट पी रहा था.
टीटी ने उसका जुरमाना काट दिया तो वो टी टी से बोला-अब आपने जुरमाना तो काट दिया मै अब तो सिगरेट पी सकता हूँ,
टी टी बोला आप जितनी बार पियेंगे मै उतनी बार जुर्माना काटूँगा.
तो वो बोला- हमारे दिल्ली में आप एक दिन सुबह हेलमेट नही पहनने पर चालान कटवा लो फेर वो ही चालान पर्ची दिन भर हेलमेट का काम करती है.
बाद में उसने बताया की वो दिल्ली पुलिस में इंसपेक्टर है.
दूसरी घटना बताता हूँ रायपुर के रेलवे स्टेशन पर मै ट्रेन में खिड़की के पास बैठा था, एक आदमी ट्रेन के बाहर मेरी खिड़की पे ही सिगरेट पी रहा था.
तभी टी टी देख लिया और बड़े आदर से उसे पूछा- क्यों भाई साब आप पुलिस में हो क्या?
उसने जवाब दिया- नहीं.
तो टी टी ने कहा - तो फिर कानून हाथ में क्यों ले रहे हो?
आज अधिकतर लोगों की ये मानसिकता बनी हुयी है,कानून की रक्षा की जिसकी जिम्मेदारी है वही लोग कानून की धज्जियाँ उड़ा रहे है.
पिछले साल केंद्रीय सवास्थ्य मंत्रालय ने २ अक्तूबर को देश भर में सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान पर रोक लगाई थी.
वलियेंट्री हेल्थ ओर्गेनैजेशन ऑफ़ इंडिया की तरफ से ये जानकारी दी गई, सार्वजनिक स्थलों पर धुम्रपान करने पर २०० रूपये जुर्माने का प्रावधान है.
इसका सीधा-सीधा मतलब है कि गत वर्ष ४६ हजार लोगों ने राजधानी में ये जानते हुए कानून तोडा की पकडे गए तो जुरमाना भर देगें।
ये आंकड़े इनके रिकार्ड में है, जो रिकार्ड में नही है उनकी संख्या का अंदाजा आप लगा सकते है, कितने ही रूपये इन कानून के रखवालों की जेब में गये होंगे?
२०० का जुरमाना देने की बजाय ५० देके ही पीछा छुडायेगा ना. फिर भी १५० की बचत.
जब पता है कि यहाँ पर धुम्रपान निषेध है तो वहां पर नही करना चाहिए. लेकिन लोग कानून हाथ में इसलिए लेते है जो होगा देखा जायेगा, जुर्माना ही तो लेगा, कोई फांसी पे थोडी चढ़ाएगा।
एक बार मै ट्रेन में आ रहा था,तो गोंदिया के पास टीटीयों का उड़न दस्ता चढा, एक आदमी सिगरेट पी रहा था.
टीटी ने उसका जुरमाना काट दिया तो वो टी टी से बोला-अब आपने जुरमाना तो काट दिया मै अब तो सिगरेट पी सकता हूँ,
टी टी बोला आप जितनी बार पियेंगे मै उतनी बार जुर्माना काटूँगा.
तो वो बोला- हमारे दिल्ली में आप एक दिन सुबह हेलमेट नही पहनने पर चालान कटवा लो फेर वो ही चालान पर्ची दिन भर हेलमेट का काम करती है.
बाद में उसने बताया की वो दिल्ली पुलिस में इंसपेक्टर है.
दूसरी घटना बताता हूँ रायपुर के रेलवे स्टेशन पर मै ट्रेन में खिड़की के पास बैठा था, एक आदमी ट्रेन के बाहर मेरी खिड़की पे ही सिगरेट पी रहा था.
तभी टी टी देख लिया और बड़े आदर से उसे पूछा- क्यों भाई साब आप पुलिस में हो क्या?
उसने जवाब दिया- नहीं.
तो टी टी ने कहा - तो फिर कानून हाथ में क्यों ले रहे हो?
आज अधिकतर लोगों की ये मानसिकता बनी हुयी है,कानून की रक्षा की जिसकी जिम्मेदारी है वही लोग कानून की धज्जियाँ उड़ा रहे है.
ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं है जिन्हें कानून तोड़ने में मजा आता है। इनका मानना ही होता है कि "कानून तोड़ने के लिए ही बनाये जाते हैं"।
जवाब देंहटाएंआप मन के गोठ मा मोर सहमति हवय,आप ला मोर सुभ कामना जौउन आप हमर मुहाटी तक अमरेव,चोला हा गद होगे,फ़ेर आहु,अड़हा के गोठ मा घलो,
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