दीवाली आ रही है और नकली दूध एवं मावा (खोवा) बनाकर बेचने वालों की चाँदी कट रही है. अब एक बार फिर बड़े तौर पर आप एवं आपकी सेहत पर खतरा मंडरा रहा है.
आपकी जिन्दगी के साथ फिर खिलवाड़ होने वाला है. आप पर होने वाला है नकली दूध, मावे एवं मिठाईयों का हमला.
यूरिया, सिंघाडे का आटा तेल या डालडा घी और सस्ता पाउडर दूध इसको बनाने का कच्चा माल है. अभी कुछ दिनों की बात है.
मै खैरथल से श्री गंगानगर जाने के लिए दिल्ली वाले हाइवे पर बस पकड़ने के लिए रात को बैठा था. बस आने में देरी थी तो एक होटल के सामने पड़ी हुयी बेंच पर बैठ गया. होटल वाले ने मुझे बताया की बाबूजी बस की चिंता ना करो वो बस मेरी इजाजत के बिना यहाँ से जा नही सकती.
मैंने पूछा क्यूँ भाई तू रोडवेज में मैनेजर लगा हुआ है? जो बस तेरे कहने से ही जाएगी.
वो बोला बाबूजी- हम इस बस के रोज के ग्राहक हैं, हमारा माल इसी से जाता है.
मैंने पूछा- क्या ?
उसने कहा मावा जाता है जी रोज एक से डेढ़ क्विंटल.
मैंने कहा- भाई अभी मैं परसों वापस आऊंगा तो मुझे भी दे देना दो किलो पेडे बनवा लेंगे बच्चे खुश हो जायेंगे.
वो बोला-बाबूजी ये चालू मावा है. आपके लिए तो स्पेशल मंगवाना पड़ेगा.
तब मैंने उससे नकली मावा बनाने की पूरी तरकीब पूछी तो उसने सब बता दी ये सोच के कि यहाँ का आदमी तो है नहीं.
आपकी जिन्दगी के साथ फिर खिलवाड़ होने वाला है. आप पर होने वाला है नकली दूध, मावे एवं मिठाईयों का हमला.
यूरिया, सिंघाडे का आटा तेल या डालडा घी और सस्ता पाउडर दूध इसको बनाने का कच्चा माल है. अभी कुछ दिनों की बात है.
मै खैरथल से श्री गंगानगर जाने के लिए दिल्ली वाले हाइवे पर बस पकड़ने के लिए रात को बैठा था. बस आने में देरी थी तो एक होटल के सामने पड़ी हुयी बेंच पर बैठ गया. होटल वाले ने मुझे बताया की बाबूजी बस की चिंता ना करो वो बस मेरी इजाजत के बिना यहाँ से जा नही सकती.
मैंने पूछा क्यूँ भाई तू रोडवेज में मैनेजर लगा हुआ है? जो बस तेरे कहने से ही जाएगी.
वो बोला बाबूजी- हम इस बस के रोज के ग्राहक हैं, हमारा माल इसी से जाता है.
मैंने पूछा- क्या ?
उसने कहा मावा जाता है जी रोज एक से डेढ़ क्विंटल.
मैंने कहा- भाई अभी मैं परसों वापस आऊंगा तो मुझे भी दे देना दो किलो पेडे बनवा लेंगे बच्चे खुश हो जायेंगे.
वो बोला-बाबूजी ये चालू मावा है. आपके लिए तो स्पेशल मंगवाना पड़ेगा.
तब मैंने उससे नकली मावा बनाने की पूरी तरकीब पूछी तो उसने सब बता दी ये सोच के कि यहाँ का आदमी तो है नहीं.
अभी रक्षा बंधन की ही बात है, उससे एक दिन पहले मैं उडीसा में खरियार रोड गया था. वापस आते समय बागबाहरा में रुका. एक नया अच्छा होटल देख के नाश्ता करने.
मैं वहां पर बहुत अच्छी बर्फी देखी, जिसका रंग भी एकदम साफ़ था. मैंने सोचा कल त्यौहार है. मिठाई तो घर भी जाकर कल मुझे ही लानी पड़ेगी.यहाँ बढ़िया दिख रही है.यहीं से ले लेते हैं. ये सोच कर मैंने दो किलो बर्फी ले ली. दुसरे दिन रक्षा बंधन था.
उस मिठाई का एक टुकडा मुह में डाला तो मुह के अन्दर ही वो पूरा चिपक गया नीचे ही नहीं उतर रहा था. मैंने वो मिठाई फिंकवाई. अब उसकी ख़राब मिठाई की शिकायत करने १०० किलो मीटर तो नहीं जा सकता था.
खाने पीने के सामानों में मिलावट तो धड़ल्ले से जारी है. पर दूध, दही, देशी घी,और मावे में तो कुछ ज्यादा ही है.पहले दूध में पानी की मिलावट होती थी,चलो मोल का दूध है करके आदमी एक बार चला लेता था,लेकिन अब तो पूरा-पूरा दूध ही नकली आ रहा है. सीधा-सीधा उपभोक्ता के स्वास्थ्य पर हमला हो रहा है और डायबिटीज़ एवं बी.पी की बीमारी से इसका सीधा-सीधा सम्बन्ध है.
दूध के बने उत्पाद यमदूत का कार्य कर रहे हैं. नकली एवं गुणवत्ता विहीन दूध से बनी मिठाईयों के नाम पर ना केवल जनता के विश्वास को छला जा रहा है बल्कि उसके जीवन से भी खिलवाड़ किया जा रहा है,
दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद की जाँच पर सरकारी अमला उदासीन नज़र आता है. आवश्यकता इस बात की है कि डेरियों एवं होटलों में मिलने वाले दूध एवं दुग्ध उत्पाद की निरंतर जाँच हो. तथा गुणवत्ता विहीन खाद्य सामग्री बेचने वालों पर कठोर कार्यवाही हो.
साथ ही एक सलाह ये भी है कि जहाँ तक हो सके.इन उत्पादों से बचने की कोशिश करें एवं आटे, दाल,चावल मैदे से बनी घर की मिठाईयों का सेवन ही लाभ दायक है.
बिलकुल सेही कहा आपने हम तो सावधान हैं आभार्
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