महंगाई और बढ़ने वाली है, खासकर कृषि से सम्बंधित उत्पादों के मूल्य में आने वाले महीनों में बढोतरी होगी, इस मूल्य वृद्धि की वकालत एवं भूमिका बांधने की शुरुआत अभी से ही दिल्ली से प्रारंभ हो चुकी है.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार समिति के प्रमुख रंगराजन ने २००९-१० की आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट जारी की है, जिसमे कृषि उत्पाद में एक करोड़ दस लाख टन की कमी पिछले साल के मुकाबले बताई है.
इसका कारण दक्षिणी पश्चिमी मानसून का रूठ जाना बताया है.
वर्षा की कमी के कारण धान के बुवाई क्षेत्र फल में काफी कमी आई है, बुवाई का क्षेत्र फल १५% कम हो गया. अन्य कृषि उत्पादों बाजरा,मक्का,और ज्वार की बुवाई पिछले साल के मुकाबले १०% कम क्षेत्र पर हुई है.
दलहन की बुवाई गत वर्ष से अधिक क्षेत्रफल में हुई है, तिलहन की बुवाई पिछले साल की अपेक्षा साढ़े १५% कम भूमि पर हुई है.
सोया बीन का बुवाई रकबा भी ०.२०% घटा है. गन्ने का बुवाई क्षेत्र फल भी २.९०% घटा है.
इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में खाद्य पदार्थों के मूल्यों में निश्चित ही वृद्धि हो सकती है. पता नहीं ये बेलगाम महंगाई कहाँ तक जायेगी?
क्यों डराते हो भाईजी !
जवाब देंहटाएंपहले ही लोग त्रस्त हैं ...बुरी तरह ग्रस्त हैं मंहगाई से.........
तब भी तो ये मूर्ख मतदाता राहुल भैया की ही जय-जैकार कर रहे है, शर्मा साहब ! वे जनाव लुफ्त उठाने के लिए इनके घरो की सैर कर रहे है, और ये कह रहे है की ये भैया तो सबसे अलग है ! इन्हें नहीं मालूम की वो जनाव सिर्फ मूर्ख बना रहे है और कुछ नहीं !
जवाब देंहटाएंगोदियाल साब आपका कहना 100 फ़ीसदी सही है,
जवाब देंहटाएंमुरख को समझाय के ज्ञान गाँठ को जाय,
कोयलो होय ना उजळो,नौ मण साबण लगाय
जय हो
मंहगाई क्या सब कुछ बेलगाम है । बस झेलते जायें शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंभाई साहब, "साम्प्रदायिकता" को हराना ज्यादा जरूरी है, महंगाई वगैरह तो झेली जा सकती है… :) :)
जवाब देंहटाएंदुखती रग पर हाथ रख दिया। क्याकहें।
जवाब देंहटाएंवैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं, राष्ट्र को प्रगति पथ पर ले जाएं।
परेशान हो गये हैं सभी...
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