किसी मुकाम तक पहुंचने के लिए पूरा जीवन समर्पित करना पड़ता है और उसमें निरंतरता रखना अत्यावश्यक है। तभी मंजिल तक व्यक्ति पहुंचता है। इसके साथ-साथ सरलता-सहजता का जज्बा भी जरूरी है।
मैने जीवन में छोटे से लेकर बड़े तक, सड़क से लेकर संसद के गलियारों तक के लोगों को देखा, उनसे मिला और उन्हे जाना। एक गांव से दिल्ली तक का सफ़र तय किया।
इन वर्षों में हजारों-लाखों लोगों से भेंट हुई होगी, लेकिन एक व्यक्तित्व ने मुझे प्रभावित किया, जो कभी मुझे पराया नहीं लगा। एक अपनत्व का भाव उसमें दिखा। मेरे से उम्र में काफ़ी बड़े हैं, लेकिन एक गांव में रहने के कारण उनसे मेरा लगाव बचपन से बना रहा जो अभी तक अनवरत जारी है।
मैने जीवन में छोटे से लेकर बड़े तक, सड़क से लेकर संसद के गलियारों तक के लोगों को देखा, उनसे मिला और उन्हे जाना। एक गांव से दिल्ली तक का सफ़र तय किया।
इन वर्षों में हजारों-लाखों लोगों से भेंट हुई होगी, लेकिन एक व्यक्तित्व ने मुझे प्रभावित किया, जो कभी मुझे पराया नहीं लगा। एक अपनत्व का भाव उसमें दिखा। मेरे से उम्र में काफ़ी बड़े हैं, लेकिन एक गांव में रहने के कारण उनसे मेरा लगाव बचपन से बना रहा जो अभी तक अनवरत जारी है।
मित्रों जिस शख्शियत से आपका परिचय करवा रहा हूँ वह परिचय की मोहताज तो नहीं है। लेकिन ब्लॉग जगत में नए ब्लॉगर से परिचित कराने की परम्परा भी रही है, उसी का निर्वहन कर रहा हूँ।
भाई अशोक बजाज जी के चिट्ठे का नाम ग्राम चौपाल है। अशोक बजाज रायपुर जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे हैं, सहकारिता आन्दोलन के विषय पर इनकी अच्छी पकड़ है। मैं मानता हूँ कि अगर वे चाहे तो इस पर एक अच्छी किताब लिख सकते हैं। जो सहकारिता आन्दोलन को एक नयी दिशा दे सकती है।
इन्होने सहकारिता आन्दोलन को बहुत करीब से देखा है जीया भी है। सहकारिता के क्षेत्र में काम किया है। गांव के किसानों के बीच इनकी अच्छी पकड़ भी है। इन्होने कालेज की पढाई के पश्चात अपना पूरा समय समाज सेवा को ही दिया है। गांव की पत्रकारिता से इन्होने अपने कैरियर की शुरुवात की।
भाई अशोक बजाज जी के चिट्ठे का नाम ग्राम चौपाल है। अशोक बजाज रायपुर जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे हैं, सहकारिता आन्दोलन के विषय पर इनकी अच्छी पकड़ है। मैं मानता हूँ कि अगर वे चाहे तो इस पर एक अच्छी किताब लिख सकते हैं। जो सहकारिता आन्दोलन को एक नयी दिशा दे सकती है।
इन्होने सहकारिता आन्दोलन को बहुत करीब से देखा है जीया भी है। सहकारिता के क्षेत्र में काम किया है। गांव के किसानों के बीच इनकी अच्छी पकड़ भी है। इन्होने कालेज की पढाई के पश्चात अपना पूरा समय समाज सेवा को ही दिया है। गांव की पत्रकारिता से इन्होने अपने कैरियर की शुरुवात की।
आडवाणी जी,करुणा शुक्ला, अशोक बजाज |
मै इन्हे तब से जानता हूँ जब मैं चौथी-पांचवी कक्षा में पढता था और हम लोग सुबह शाखा लगाते थे। तब भाई अशोक भी कई बार गांव से शाखा में शामिल होने आते थे।
उसके बाद पत्रकारिता के साथ भाजपा की राजनीति में सक्रिय हुए। मैं इनके साथ लगभग प्रत्येक कार्यक्रम में सक्रीय भूमिका निभाता था। मध्य प्रदेश में सुंदरलाल पटवा के मुख्यमंत्रित्व काल में भाजपा के रायपुर के जिलाध्यक्ष बने और इन्होने गांव छोड़ दिया।
कार्य की व्यस्तताओं के कारण रायपुर में ही रहने लगे। जिसके कारण हमारी सुबह शाम की मुलाकात बंद हो गयी। इसके पश्चात कभी कभी किसी कार्यक्रम आदि में मुलाकात हो जाती थी। काफ़ी दिनों तक इनके सानिध्य में रह कर मुझे दुनिया को जानने का मौका मिला।
उसके बाद पत्रकारिता के साथ भाजपा की राजनीति में सक्रिय हुए। मैं इनके साथ लगभग प्रत्येक कार्यक्रम में सक्रीय भूमिका निभाता था। मध्य प्रदेश में सुंदरलाल पटवा के मुख्यमंत्रित्व काल में भाजपा के रायपुर के जिलाध्यक्ष बने और इन्होने गांव छोड़ दिया।
कार्य की व्यस्तताओं के कारण रायपुर में ही रहने लगे। जिसके कारण हमारी सुबह शाम की मुलाकात बंद हो गयी। इसके पश्चात कभी कभी किसी कार्यक्रम आदि में मुलाकात हो जाती थी। काफ़ी दिनों तक इनके सानिध्य में रह कर मुझे दुनिया को जानने का मौका मिला।
डॉ रमन सिंग, अशोक बजाज |
नशा मुक्ति आन्दोलन को आगे बढाने का इन्होने सतत् प्रयास किया है।इन्होने एक नारा भी दिया है"नशा हे खराब, झन पीहू शराब" ब्लॉग जगत में आने के बाद इनके भीतर का पुराना पत्रकार जाग उठा।
इसके बाद लगातार समय निकाल कर लिख रहे हैं। रेड़ियो के कार्यक्रमों में जाते रहे हैं, चौपाल में किसानों की चर्चा में भाग लेते रहे हैं। रेड़ियो श्रोता दिवस इनकी एक अच्छी पोस्ट आई है। इन्हे फ़ोटोग्राफ़ी का शौक भी है। इनके चित्र अखबारों की शोभा बढाते रहते हैं।
इनके सरकारी बंगले का नाम ही चौपाल है, जहां पेड़ के नीचे ही बैठ कर लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उनके निदान का प्रयास करते हैं। यहां पर भी गांव जैसा वातावरण मुझे देखने को मिला।
लोग जब पद में पहुंच जाते हैं तो आम से खास हो जाते हैं, नीचे खड़े आदमी की बात उन तक पहुंचती नहीं है। लेकिन अशोक भाई को मैने हमेशा जमीन से ही जुड़े देखा। जिसके कारण लोगों में बहुत लोकप्रिय हैं।
इसके बाद लगातार समय निकाल कर लिख रहे हैं। रेड़ियो के कार्यक्रमों में जाते रहे हैं, चौपाल में किसानों की चर्चा में भाग लेते रहे हैं। रेड़ियो श्रोता दिवस इनकी एक अच्छी पोस्ट आई है। इन्हे फ़ोटोग्राफ़ी का शौक भी है। इनके चित्र अखबारों की शोभा बढाते रहते हैं।
इनके सरकारी बंगले का नाम ही चौपाल है, जहां पेड़ के नीचे ही बैठ कर लोगों की समस्याएं सुनते हैं और उनके निदान का प्रयास करते हैं। यहां पर भी गांव जैसा वातावरण मुझे देखने को मिला।
लोग जब पद में पहुंच जाते हैं तो आम से खास हो जाते हैं, नीचे खड़े आदमी की बात उन तक पहुंचती नहीं है। लेकिन अशोक भाई को मैने हमेशा जमीन से ही जुड़े देखा। जिसके कारण लोगों में बहुत लोकप्रिय हैं।
मोहन भगवत जी के साथ |
आम आदमी जब किसी को अपना रहनुमा बनाकर आगे भेज देता है तो वह उससे दूर चला जाता है। फ़िर उस आम आदमी को भी उससे मिलने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। इस तरह वह आम आदमी से दूर होता चला जाता है और उसके दिल से बाहर हो जाता है।
सभी की अपनी-अपनी मजबूरियां होती है। सार्वजनिक जीवन में आने के पश्चात अपने व्यक्तिगत जीवन को त्यागना पड़ता है। अपने लिए कुछ नहीं रह जाता।
एक बार की बात है जब जार्ज फ़र्नांडिज भारत के रक्षा मंत्री थे, तब उनसे मिलने के लिए उनके संसदीय क्षेत्र से मतदाता मिलने आया था। लेकिन बंगले के सुरक्षा गार्डों ने उसे मिलने नहीं दिया। जब जार्ज साहब को यह बात पता चली तो उन्होने बंगले से गेट ही उखड़वा दिया। उसके बाद बेरोकटोक कोई भी आए और कोई भी जाए।
संसद भवन के हमले के बाद उनके बंगले कई महीनो के बाद गेट लगाया गया। अशोक भाई भी कुछ इसी तरह के हैं,इनसे भी कोई भी बेरोकटोक मिल सकता है और अपनी समस्या का निदान पा सकता है।
सभी की अपनी-अपनी मजबूरियां होती है। सार्वजनिक जीवन में आने के पश्चात अपने व्यक्तिगत जीवन को त्यागना पड़ता है। अपने लिए कुछ नहीं रह जाता।
एक बार की बात है जब जार्ज फ़र्नांडिज भारत के रक्षा मंत्री थे, तब उनसे मिलने के लिए उनके संसदीय क्षेत्र से मतदाता मिलने आया था। लेकिन बंगले के सुरक्षा गार्डों ने उसे मिलने नहीं दिया। जब जार्ज साहब को यह बात पता चली तो उन्होने बंगले से गेट ही उखड़वा दिया। उसके बाद बेरोकटोक कोई भी आए और कोई भी जाए।
संसद भवन के हमले के बाद उनके बंगले कई महीनो के बाद गेट लगाया गया। अशोक भाई भी कुछ इसी तरह के हैं,इनसे भी कोई भी बेरोकटोक मिल सकता है और अपनी समस्या का निदान पा सकता है।
सभा को संबोधन |
एक पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता होने की वजह से आधी शताब्दी का अनुभव इनके पास है।
ब्लॉग के माध्यम से हम भी इनके अनुभवों का लाभ ले सकेंगे। लेखन से जुड़ा हुआ व्यक्ति अपनी लेखनी को कभी विराम दे ही नहीं सकता। क्षेत्र अवश्य बदल सकता है, लेकिन लेखन अनवरत जारी रहता है।
विगत दिनों एक विवाह समारोह में इनसे मुलाकात होने के बाद पता चला कि इन्होने एक ब्लॉग बनाकर उसमें एक वाटर हार्वेस्टिंग पर एक पोस्ट लगा रखी है। तब मैने इन्हे कहा कि ब्लॉग पर आप निरंतर लिखिए, जिससे आम पाठक भी आपके विचारों से अवगत होगा और उसे लाभ मिलेगा।
ब्लॉग लेखन और पठन को एक आम आदमी तक ले जाना बहुत आवश्यक है। जिससे आम आदमी को भी इसका लाभ मिल सके। अशोक भाई का ब्लॉग जगत में स्वागत है।
ब्लॉग के माध्यम से हम भी इनके अनुभवों का लाभ ले सकेंगे। लेखन से जुड़ा हुआ व्यक्ति अपनी लेखनी को कभी विराम दे ही नहीं सकता। क्षेत्र अवश्य बदल सकता है, लेकिन लेखन अनवरत जारी रहता है।
विगत दिनों एक विवाह समारोह में इनसे मुलाकात होने के बाद पता चला कि इन्होने एक ब्लॉग बनाकर उसमें एक वाटर हार्वेस्टिंग पर एक पोस्ट लगा रखी है। तब मैने इन्हे कहा कि ब्लॉग पर आप निरंतर लिखिए, जिससे आम पाठक भी आपके विचारों से अवगत होगा और उसे लाभ मिलेगा।
ब्लॉग लेखन और पठन को एक आम आदमी तक ले जाना बहुत आवश्यक है। जिससे आम आदमी को भी इसका लाभ मिल सके। अशोक भाई का ब्लॉग जगत में स्वागत है।
आभार मिलवाने और परिचय का.
जवाब देंहटाएंफोटोग्राफी का शौक है । बहुत खूब । अच्छा लगा बजाज जी से मिलकर , आपके माध्यम से ।
जवाब देंहटाएं...dhamaakedaar parichay !!!
जवाब देंहटाएं... raipur aataa hoon .... ru-b-ru parichay bhee karanaa padegaa !!!
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा बजाज जी से मिलकर
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया!
जवाब देंहटाएंआश्रम में आपका अभिनन्दन है!
जवाब देंहटाएंस्वागत है.
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार......बजाज जी से मिलवाने और परिचय का!
जवाब देंहटाएंहमसे तो आप इन्हें पहले मिलवा चुके हैं। बहुत ही अच्छे व्यक्ति हैं बजाज जी!
जवाब देंहटाएंअशोक बजाज जी से परिचय कराने के लिए आभार
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंललित भाई, अशोक जी के बारे जानकर अच्छा लगा। धन्यवाद।
…………..
स्टोनहेंज के रहस्य… ।
चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख..
धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत ही खासे व्यक्तित्व का परिचय देने के लिए धन्यवाद्. सबसे अच्छा यह लगा की श्रीमान जी ब्लॉगर हैं .
जवाब देंहटाएंइस परिचय के लिये आपका बहुत बहुत आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
wow ....thanks for introducing him ...welcome Bajaj jee !!
जवाब देंहटाएंअच्छा परिचय !
जवाब देंहटाएंएक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !