दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल, साबरमती के संत तू ने कर दिया कमाल,” गाना पूरे जोर से बज रहा था, सामने के ग्राम पंचायत भवन में।
बगल में ही स्कूल में -“सरफ़रोशी की तमन्ना, आज हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है” बज रहा था। ऐसा लग रहा था कि गरम और नरम दल दोनों में काम्पिटीशन चल रहा है। हारे हुए सरपंच और जीते हुए सरपंच में।
बगल में ही स्कूल में -“सरफ़रोशी की तमन्ना, आज हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है” बज रहा था। ऐसा लग रहा था कि गरम और नरम दल दोनों में काम्पिटीशन चल रहा है। हारे हुए सरपंच और जीते हुए सरपंच में।
“कुछ देर के पश्चात माननीय सरपंच लीला राम द्वारा ध्वजारोहण किया जाएगा, जल्दी से जल्दी कार्यक्रम में पहुंचे”- माइक पर गाने के बीच-बीच में उद्घोषणा भी हो रही थी।
लीला राम की लीला न्यारी ही है, झंडा फ़हराने का सुख सरपंची के बाद ही मिलता है। वह इससे वंचित नहीं होना चाहता था। कल से रिक्शे में माईक लगवा कर प्रचार करवा रहा था, अपने झंडा फ़हराने का।
मैं भी भिनसारे ही तैयार हो गए थे, आज 15 अगस्त आजादी का दिन है। बच्चे भी तैयार थे स्कूल जाने के लिए। हमारा मुल्क आजाद हो चुका है अब मुल्क में एक ही गाना चढा हुआ है लोगों की जुबान पर-“मैं ये भी करुं, वो भी करुं, चाहे जो भी करुं, मेरी मर्जी।“ सब मर्जी से ही चल रहा है।
प्रजातंत्र है, कल ही सरपंच ने 15 हजार रुपए खाते से निकाले हैं आजादी का पर्व मनाने के लिए। बाकी पंचों ने भी अपनी मुहर लगा दी। क्योंकि उन्हे मिठाई के साथ-साथ एक-एक दारु की बोतल भी मिलनी तय है। बिना उसके आजादी का पर्व कैसे मनाया जाएगा।
जैसे ही घर से बाहर निकला तो चौक पर ध्वजारोहण की तैयारी हो रही थी। तोरण-पताका बांधी जा चुकी थी। कोटवार बिजली के खम्बे पर बांस से कटुआ डाल रहा था।
मैने पूछा-“ये क्या हो रहा है सुबह सुबह? बिजली चोरी खुले आम”।
“क्या करोगे महाराज अभी सूचना आई है, चौक का झंडा नेता जी फ़हराएंगे, लाउड स्पीकर लगाने के लिए बिजली लेनी पड़ रही है।“ – वह बोला
“फ़िर भी सीधे खंबे से बिजली लेना चोरी तो है”
“सरकार की बिजली और सरकार का झंडा, सारा आयोजन सरकारी है, फ़िर हम आजादी का पर्व मना रहे हैं, इतना तो चलता है”।
“चलाओ चलाओ भाई, सरकार की बिजली सरकार का खंबा, सरकारी आजादी है”।
इतने में जुगाली करते मियां छक्कन भी तशरीफ़ ले आए। आते ही पान की गिलौरी की एक बड़ी लम्बी पिचकारी सड़क पर मारी-“सलाम महाराज,आजादी मुबारक हो”
“राम-राम मियां जी, आपको भी आजादी मुबारक हो”
“बाबा देखो तो, समारु का लड़का नल से टोंटी निकाल रहा है”। जब तक हम पहुंचते,वह टोंटी लेकर फ़रार हो चुका था। नल आजाद हो गया था और आजादी से बह रहा था।
“अगर तु सड़क के इस पार आई तो ईंट मार कर सर फ़ोड़ दूंगा” उदै राम जोर से चिल्ला रहा था। बड़े गुस्से में था।मैने आवाज सुनकर पीछे मुड़ कर देखा तो वह घर से सामने सड़क के दुसरी तरफ़ सिर्फ़ तौलिया बांधे हुए हाथ में ईंट लिए अपनी पत्नी को गरिया रहा था।
उधर उसकी पत्नी हाथ में हंसिया लेकर चंडी बनी चीख रही थी-“रोगहा घर में घुस गया तो आज तेरा गला हंसिया से काट दुंगी”. स्थिति की गंभीरता को समझते हुए मुझे ही जाना पड़ा –“ क्या हो गया भौजी? आजादी दिन सुबह-सुबह उदै भैया को आजाद करने का इरादा बना लिया”?
“कल रात से जुआ खेल रहा है, आजादी की छुट्टी है कहके। मैने जो 300 रुपया तीजा पर मायके जाने के लिए चावल की हंडी में छुपाकर रखा था, उसे भी दांव पर लगा दिया। आज तो इसका गला काट के ही रहुंगी, भले मुझे फ़ांसी हो जाए। रोज-रोज की खिट-खिट से आजादी तो मिल जाएगी,मैं कहती हूँ कि कुछ धरम करम करो, दिन रात दारु और जुआ, कब तक सहन करुंगी”?
मैने भौजी के हाथ से हंसिया लिया-“अरे इतनी बड़ी गलती मत करो भई, भला हो उदै भैया का इन्होने तुम्हे दांव पर नहीं लगाया। धर्मराज ने तो द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया था। तुम आभार व्यक्त करो इनका कि तुम्हे कितना चाहते हैं, धरम-करम करके धर्मराज हो गए तो फ़िर…..समझ लो तुम।“
भौजी का गुस्सा थोड़ा ठंडा हुआ तो मैं आगे बढ लिया।
तभी बीच सड़क पर नानिक और गज्जु दोनो मस्ती से झुमते हुए गलबैंइहा डाले आ रहे थे,-“ये देश है बीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का”। पीछे से बस वाला हार्न बजा रहा है और ये मस्ती में उसकी परवाह किए बिना चल रहे हैं।
“अरे! साइड दो बस वाले को, कहीं तुम्हे दबा कर चला गया तो?”
“कैसे दबा कर चला जाएगा? सड़क इसके बाप की है क्या? हमने बनवाई है वोट देकर”-खेदु ने जवाब दिया।
“तुम लोग 15अगस्त तो सुबह से कहां से पीकर आ रहे हो? आज तो भट्ठी भी बंद है।“
"सब बेवस्था हो जाती है, जेब में पैसा और मुंह में जबान होनी चाहिए। जो लोग बंद करवाते हैं वही खोल भी देते हैं”- हा हा- गज्जु बोला।
"आज तो नहीं पीना चाहिए, आजादी का दिन है, मजे से झण्डा फ़हराओ, मिठाई खाओ और बांटो, आजादी का मजा लो”।
“सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स हम लोग देते हैं। सच्चे मायने में ईमानदारी से देश सेवा कर रहे हैं”। अरे आप जाओ महाराज कहां सुबह-सुबह प्रवचन सुनाने लग गए”-कह कर दोनों ने अपना रास्ता पकड़ लिया।
साढे सात बज रहे थे, हमें भी झंडा फ़हराने जाना था, आज के दिन हमारा देश आजाद हुआ था। आजाद भारत में आजादी की खुशी मनानी थी। सामने सड़क पर सारी स्ट्रीट लाईटें दिन में जल रही थी। पता चल रहा था कि हम आजाद हो गए हैं।
आज़ादी के बहाने आपने समाज देश की व्यवस्था.नागरिकों और शासन प्रशासन की विडंबना उसकी क्षुद्रता की तरफ व्यंग्य की धार से खूब खबर ली है.
जवाब देंहटाएंअंग्रेजों से प्राप्त मुक्ति-पर्व ..मुबारक हो!
समय हो तो एक नज़र यहाँ भी:
आज शहीदों ने तुमको अहले वतन ललकारा : अज़ीमउल्लाह ख़ान जिन्होंने पहला झंडा गीत लिखा http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_14.html
... धान्सू ... धमाकेदार व्यंग्य !!!
जवाब देंहटाएं... स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं !!!
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई.वन्दे मातरम् !
जवाब देंहटाएंसच मुच आज हम आजाद है कुछ भी करने के लिए | इसका साफ़ साफ़ पता चलता है समाज के बनाए हुए नियमों को तोडने में | जहां मर्जी थूका जहां मर्जी हगा | यही तो आजादी है शायद |
जवाब देंहटाएंआजदी के बाद की विकृत मानसिकता पर बढ़िया व्यंग्य |
जवाब देंहटाएंआपको भी आजादी का यह पर्व मुबारक हो ,शुभकामनाएँ |
'इनकी लम्बी पीक से ही पता चलता है कि देश आजाद हो गया है।'
जवाब देंहटाएंआजादी साबित हो गयी यही बहुत है. वर्ना तो ....
“सरकार की बिजली और सरकार का झंडा, सारा आयोजन सरकारी है, फ़िर हम आजादी का पर्व मना रहे हैं, इतना तो चलता है”।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब!
आजादी के सही माने लोगों को अच्छी तरह से पता है!!
@“ये देश है बीर जवानों का अलबेलों का मस्तानों का”। पीछे से बस वाला हार्न बजा रहा है और ये मस्ती में उसकी परवाह किए बिना चल रहे हैं।
जवाब देंहटाएंसड़क इनके बाप की है, सरकार इनके फ़ूफ़ा की है, ये खुद मालिक हैं।
बीच सड़क पर चलेंगे ही।
"सब बेवस्था हो जाती है, जेब में पैसा और मुंह में जबान होनी चाहिए।"
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की बधाई
तीखा प्रहार किया है, अपने व्यंग्य के द्वारा।
जवाब देंहटाएंलोगों ने आजादी के मायने बदल कर रख दिए।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंवन्दे मातरम । स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंतीखा प्रहार ...
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
तथाकथित आज़ादी पर सटीक व्यंग....
जवाब देंहटाएंजय हो!
यौम-ए-आज़ादी बहुत-बहुत मुबारक हो!
अंग्रेजी मानसिकता का तिरस्कार ही सही मायने में आजादी के पर्व को मनाना है
हा हा हा ! व्यंग मजेदार लेख ।
जवाब देंहटाएंअभी तो जाने कितनी आज़ादियाँ हासिल करनी हैं ।
बेहद सटीक व्यंग, स्वतंत्रता दिवस के शुभ अवसर पर हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंरामराम.
ललित जी आज आपने मेरे दिल की बात कह दी ..क्या सचमुच हमसे ज्यादा कोई आजाद है?
जवाब देंहटाएंसमसामायिक टिप्पणी स्वतंत्रता दिवस की पर हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा..
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं
हैपी ब्लॉगिंग
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आपको बहुत बहुत बधाई .कृपया हम उन कारणों को न उभरने दें जो परतंत्रता के लिए ज़िम्मेदार है . जय-हिंद
जवाब देंहटाएंaazadi ka kitna galat arth ham peedhi dar peedhi laga rahe hai,bahut khoobi se bataya aapne.aaj desh ,samaj ki halat ke liye yahi mansikta doshi hai .sunder vyang....
जवाब देंहटाएंबेहद सटीक व्यंग......स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबहुत सही कटाक्ष किया है सर।
जवाब देंहटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए।
सादर
बड़ा तीखा प्रहार है व्यवस्था पर और नागरिकों के कर्तव्य पर भी ..अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंshaandar post...
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