हम तो स्वभाव से ही साधू हैं, जैसे मंदिर में रोज भाव भक्ति से अगरबत्ती जला कर फ़ूल चढाते हैं ठीक वैसे ही भिनसारे उठ कर अपनी पोस्ट लिखते हैं सब काम छोड़ कर....... और फिर बटन दबा कर ब्लाग जगत को अर्पित कर देते है.
तत्पश्चात हमें ऐसा लगता है जैसे सेतु बांध निर्माण में गिलहरी सदृश हमने भी कार सेवा कर दी और एक आत्म- संतुष्टि का भाव लिए....... कुर्सी पर पसर जाते हैं और फिर लेते हैं एक कप गरमागरम कडक चाय लिप्टन टाइगर वाली,
कल चाय पीते पीते सोचने लगे कि एक पोस्ट लिखने के लिए कितनी मगजमारी करनी पड़ती है एक घर गृहस्थी वाले ब्लागर को, जरा आप भी सोचिये ?
तत्पश्चात हमें ऐसा लगता है जैसे सेतु बांध निर्माण में गिलहरी सदृश हमने भी कार सेवा कर दी और एक आत्म- संतुष्टि का भाव लिए....... कुर्सी पर पसर जाते हैं और फिर लेते हैं एक कप गरमागरम कडक चाय लिप्टन टाइगर वाली,
कल चाय पीते पीते सोचने लगे कि एक पोस्ट लिखने के लिए कितनी मगजमारी करनी पड़ती है एक घर गृहस्थी वाले ब्लागर को, जरा आप भी सोचिये ?
इधर बीबी के ताने "ये कम्पूटर ना हुआ मुआ सौत हो गया.....बाहर कब से आकर हमरे बड़े भैया बैठे हैं.........जरा उनसे राम-राम ही कर लो नहीं तो क्या सोचेंगे? उनका इज्जत करना ही बंद कर दिये... और वो तिवारी जी भी बैठे हैं कब से बेचारे, उनको भी बुलाय लिए हो. अगर आपसे उनका काम होता है तो करवाइए वरना काहे दरबार लगा रखा है फालतू......"
अब बताइए एक पोस्ट लिखने के चक्कर में हम सब भूले बैठे हैं........ और इनका भी खटराग सुन रहे हैं. क्योंकि कंप्यूटर लेकर बाडी, खलिहान या तालाब नदी के किनारे तो नहीं बैठ सकते....... हम तो बैठ भी जाते लेकिन सूरज के उजाले में स्क्रीन में ठीक से दिखाई नहीं देता है...... नहीं तो किसी भी पेड के नीचे खटिया डाल लेते....... ये सब तो नहीं सुनना पड़ता.....
जब से ब्लागेरिया हुआ है तब से हम खुद परेशान हैं...... कुछ लिखो तो लोग गरियाते हैं ना लिखो तो उलाहना आता है कि आज कल लिख क्यों नही रहे हो..... और उसके बाद बची खुची इनकी मार........ कैसे कोई बचे? अब इतनी समस्या के बाद कोई पोस्ट लिख दी तो बड़े गुरूजी को पोस्ट अच्छी नहीं लगी. अब बताईये इसमें हमारा दोष नहीं है.
वो पोस्ट की गलती है....... कि आपके स्वाद के हिसाब से तैयार नहीं हो सकी.........या फिर आपकी गलती है कि इस उम्र में आपकी स्वाद इन्द्रियां एकांगी हो गयी हैं एक तरह का ही स्वाद ग्रहण कर सकती हैं..... ये तो दुनिया है यहाँ तो रंग बिरंगे स्वाद मिलेंगे...... और उसके हिसाब से ही आपको अपनी स्वाद इन्द्री का विकास करना पड़ेगा...... इसमें हमारी कौनो गलती नहीं है.
अब देखिये हम यहाँ ब्लोगिंग करने आये अच्छा भी लिख कर देखा........... फिर हमने सोचा कि क्यों इतने सारे शब्दों का जमावड़ा किया जाये. पाठक तो उतने ही हैं, क्यों फालतू मेहनत की जाये? कहीं से कोई इनाम तो मिलने वाला नहीं है.... फिर फालतू क्यों हल्दी घाटी का रणक्षेत्र सजाएँ....... लेकिन लोग मानते नहीं हैं.........
जगह जगह तमाशे होते रहते हैं.......... कहीं भांगड़ा--- कहीं सुवा नाच, कहीं डिस्को.......... कहीं शास्त्रीय संगीत, कहीं नाटक प्ले और कहीं जूतम पैजार....... अब दर्शक की रूचि है कि वो देखना क्या चाहता है?........ जहाँ मनोरंजन होगा वहां दंगा फसाद भी होने की सम्भावना है...... कोई काहू में मगन कोई काहू में मगन......
कहते है कि क्या जमाना आ गया है? मुर्दे बच जाते हैं और कंधे देने वाले जल जाते हैं............. यही होता दंगा फसाद करने वाले तो भाग जाते हैं और देखने वाले फँस जाते हैं........ लाख कहें की हम दर्शक हैं भैया सब्जी लेने बाजार जा रहे थे भीड़ देखे तो रुक गए तमाशा देखने के लिए.......... लेकिन वहां कौन मानता है..... बस भीड़ में खड़े होने का मजा ये होता है कि अब खाखी से अपनी डबल रोटी गरम करवाइए......... और मौज लेने का मौज लीजिये.......
जब हमने ब्लाग लेखन प्रारंभ किया तो हमारे पास बहुत सारी सामग्री थी जो पाठकों तक लगातार पहुंचाते रहे. अब आपने ही लिखा था कि एक पोस्ट की उमर २४ घंटे होती है. इससे ज्यादा नहीं होती. तो हमने भी ऐसा ही लिखना शुरू कर दिया. ब्लाग ना हुआ लेटर बॉक्स हो गया........जितना डालो उतना ही खाली.......अब कहाँ से लायें आपके लिए रोज-रोज नयी सामग्री?...........
हमारे गांव के आस पास बहुत सारे नदी नाले हैं......अब उनकी ही सैर करते हैं और वहीं से आपके लिए कुछ-कुछ सामग्री लेकर आ रहे हैं........और आप नाराज हुए जा रहे है........
अब देखिये कल ही हमने अपने गांव से गुजरने वाली स्पेशल ट्रेन की फोटो ली है.........एक फोटो लगा कर दो लाईन लिखेंगे और हमारी पोस्ट तैयार..... ....... .ब्लॉग भी अपडेट हो गया और सक्रियता क्रमांक भी बना रहेगा. क्यों बेवजह मगज मारी करें..
अब अपने कहा था गूगल में नोल पर लिखो बातों में दम प्रतियोगिता में, उसमे भी आपकी आज्ञा मान कर लिखा. क्या हुआ? व्यर्थ ही समय गंवाया.............. खाया पिया कुछ नहीं गिलास तोडा बारह आना..... .और इधर आप डंडा घुमाये जा रहे हो, हिंदी को आगे बढाओ, अच्छा लिखो अच्छा लिखो. कहाँ से लिखो? कहाँ से लायेंगे इससे अच्छा?
जो आदमी देखेगा और उसके समक्ष जो घटेगा उसे ही तो लिखेगा. आप फालतू की हेडमास्टरी किये जा रहे हो....... हमारे से तो ऐसा ही लिखा जायेगा..... अगर अच्छा ही लिखना आता तो ब्लाग पर काहे लिखते......... पहले ही बहुत बड़े लेखक चिन्तक हो जाते....... एक ब्लागर कितनी बाधाओं को पार कर के एक पोस्ट लिख पाता है? जरा सोचिये जरा हम पर रहम खाईये........... आपकी बड़ी कृपा होगी........
nice
जवाब देंहटाएंएक ब्लागर कितनी बाधाओं को पार कर के एक पोस्ट लिख पाता है?
जवाब देंहटाएं-काश!! लोग सोच पाते!! सब अपनी ठकुरासी में इसे नकारे पड़े हैं.
अच्छा लिखो अच्छा लिखो. कहाँ से लिखो? कहाँ से लायेंगे इससे अच्छा?
जवाब देंहटाएंवाह ! " कहाँ से लिखो? कहाँ से लायेंगे " लिखते लिखते आपने तो इसे ही विषय बनाकर पूरी बढ़िया पोस्ट ठेल डाली | इसे ही तो असली ब्लोगरी कहते है लिखने के लिए कोई विषय नहीं भी मिले तो उस विषय पर ही एक पोस्टलिख मारो |
ललित जी मजा आ गया पोस्ट पढ़कर |
ललित जी
जवाब देंहटाएंआपकी इसी पोस्ट के बगल में आपका फोटू (बन्दूक वाला) लगा है. कौतूहल हो आया कहीं आप कलम से न लिखकर बन्दूक से तो नहीं लिखते है?
अब आपने ही लिखा था कि एक पोस्ट की उमर २४ घंटे होती है. इससे ज्यादा नहीं होती. तो हमने भी ऐसा ही लिखना शुरू कर दिया. ब्लाग ना हुआ लेटर बॉक्स हो गया........जितना डालो उतना ही खाली.......अब कहाँ से लायें आपके लिए रोज-रोज नयी सामग्री?
जवाब देंहटाएंगुरुजी को यह बात समझनी चाहैये. और गुरुजी राजी राजी ना समझते हों तो आधुनिक एकलव्य वाले फ़ार्मुले से समझा दिजिये.:)
रामराम.
...रोचक व प्रभावशाली अभिव्यक्ति,बधाई!!!!
जवाब देंहटाएंहमने आपको लघुभ्राता बनाया था बन्धुवर,
जवाब देंहटाएंकिन्तु आपने हमें बना लिया गुरुवर!
इसलिये आ रहे हैं अभनपुर अब छड़ी लेकर।
प्रिय शिष्य,
जवाब देंहटाएंआपने लिखा है "गुरुजी गुरुजी चाम चटिया"
किन्तु इसके आगे की लाइन को छोड़ दिया है जिसे हम पूरा कर देते हैं
"गुरुजी गुरुजी चाम चटिया
गुरुजी मर गै उठा खटिया"
हा हा हा हा
बचपन में बहुत गाया करते थे हम इसे!
संख्या नही पोस्ट की गुणवत्ता मायने रखती है , ऐसा मेरा मानना है ।
जवाब देंहटाएं@अवधिया जी,
जवाब देंहटाएं"गुरुजी गुरुजी चाम चटिया
गुरुजी मर गै उठा खटिया"
आपने दूसरी लाईन जोडकर हमारे जख्म हरे कर दिये. हुआ यों कि एक रोज हम सारे बच्चे मस्ती के क्लास मे ये सुपर हिट गीत गारहे थे और गुरुजी आगये..
अब जो पूजा पाठ हमारी हुई ..वो आज तक याद है.:)
रामराम.
इसे ही तो असली ब्लोगरी कहते है लिखने के लिए कोई विषय नहीं भी मिले तो उस विषय पर ही एक पोस्टलिख मारो |
जवाब देंहटाएंबहुत खूब! हा हा हा! इधर से उधर से कहीं से भी कुछ भी लिखो मगर लिखो जरूर इसे ही तो बलागरी कहते हैं बहुत बडिया लगी पोस्ट। आभार्
आ रहे हैं बड़े गुरू जी छ्ड़ी ले कर :-)
जवाब देंहटाएंकई दिनों से सोच रहा था कि आपको कहां देखा है, अब याद आया जी आप लिप्टन टाईगर के विज्ञापन में आते थे :-)
जवाब देंहटाएंआपने सही किया गुरूजी की बात मान कर नोल पर लिखा
अब गुरूजी कम से कम एक लैपटाप तो जीत ही जायेंगें (मेरा दिल कहता है) अगर दो जीत गये तो एक आपके लिये पक्का है जी
प्रणाम
बड़े महाराज (गुरूजी) को समर्पित है क्या हा हा हा हा..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंटाइम पास तो हो ही जाता है!
@ शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंटाइम पास ही कर रहे हैं:)
शुभकामनायें
गुरू गुड और चेला शक्कर :-)
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! गुरूजी को एक पोस्ट आज हमने भी अर्पित करने की ठान ली है।
जवाब देंहटाएंअजी गुरु जी को रोजाना एक तरबुज गंदे नाले वाला तोहफ़े मै दे दिया करो, फ़िर देखो गुरु जी खुस
जवाब देंहटाएंLalit ji.. manta hoon badi vikat sthiti se guzarna padta hai ek vivahit blogger ko aur jab guru ju adiyal hon tab to mahasankat.. :)
जवाब देंहटाएंaur haan aapke yahan bhinsare kahte hain aur hamare yahan bhunsare.. :)
Kisi bhi baat ko kahane ka aapka apana andaaz hai jo bada rochak hai ...vishay to apani jagah baat ko prastut karane ka aapka dhang hai usame bhi bade aanand aajate hai
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! गुरूजी को एक पोस्ट आज हमने भी अर्पित करने की ठान ली है।
जवाब देंहटाएं