पानी का जितना उपयोग हम करते हैं उससे कहीं ज्यादा बरबाद हो जाता है। अवश्य ही अगला विश्व युद्ध पानी के लिए ही होगा, अगर यही स्थिति बनी रही तो, इसलिए सभी का कर्तव्य बनता हैं की पानी का सही इस्तेमाल किया जाए।
पानी के अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए। सबसे ज्यादा पानी का अपव्यय बड़े घरों मे होता हैं, नल खुले रहते हैं। बाथटब, फ़व्वारे एवं कमोड के इस्तेमाल मे ज्यादा पानी लगता हैं। गरीबों को तो नल पर लाईन लगा कर खड़ा रहना पड़ता है। इसलिए उन्हे पता है पानी की एक एक बुंद का महत्व।
पानी के अनावश्यक खर्च से बचना चाहिए। सबसे ज्यादा पानी का अपव्यय बड़े घरों मे होता हैं, नल खुले रहते हैं। बाथटब, फ़व्वारे एवं कमोड के इस्तेमाल मे ज्यादा पानी लगता हैं। गरीबों को तो नल पर लाईन लगा कर खड़ा रहना पड़ता है। इसलिए उन्हे पता है पानी की एक एक बुंद का महत्व।
बाजार वाद ने यह पाप भी करा डाला, पानी पिलाना जहाँ बहुत बड़ा पुण्य का कार्य समझा जाता था वहां हमने कभी सोचा भी नही था कि पानी भी खरीदना पड़ेगा मिनरल वाटर के नाम से। वह भी 12-15 रुपए लीटर में।
धनी मानी लोग प्याऊ बनाते थे, पानी की स्थाई व्यवस्था राहगीरों के लिए की जाती थी आज उन्हे पानी खरीदना पड़ रहा है।
कहते हैं कि अभी तक पानी के नाम पर 50 वर्षों मे 37 भी्षण हत्याकांड हो चुके हैं। हमारे ही मोहल्ले की एक बस्ती मे बहुत ही शर्मनाक स्थिति पैदा हो गयी थी जिसका वर्णन भी मै नही कर सकता।
पानी के लिए यही कमोबेश स्थिति गर्मी के दिनों मे सभी जगह बन जाती है।
भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोजाना औसतन 4 मील पैदल चलती है। पानी जन्य रोगों से प्रतिवर्ष पुरे विश्व मे 22 लाख मौतें हो जाती है।
विश्व में 10 व्यक्तियों में से 2 को पीने का साफ़ पानी नही मिल पाता। प्रति वर्ष 6 अरब लीटर बोतल पैक पानी मनु्ष्य द्वारा पीने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
नदियाँ पानी का सबसे बड़ा स्रोत है वह भी कल कारखानों के कारण प्रदुषण का शिकार हो रहा है। ऐसे मे गंभीर संकट आने वाला है यह समझना चाहिए। अब अधिक लोग दुषित पानी के कारण महामारी के शिकार होंगे।
पृथ्वी पर उपलब्ध कुल जल का 97% महासागरों में, 2% हिमखंडों के रुप मे ध्रुवीय चोटियों पर, शेष 1% नदियों, झीलों, तालाबों मे तथा पृथ्वी की सतह के नीचे पाया जाता है। इस भुमिगत जल का उपयोग हम कुंए खोद कर करते हैं।
महासागरों के जल मे कई लवण घुले होते हैं, इसलिए वह खारा पानी पीने-नहाने, कपड़े धोने एवं सिंचाई के लिए उपयोगी नही होता है। हिमखंडो के रुप मे उपस्थित जल शुद्ध होता है, किंतु इसका आसानी से उपयोग नही कि्या जा सकता।
पृथ्वी पर उपलब्ध जल मे से मनुष्यों के लिए उपयोग मे आने वाले जल की मात्रा बहुत ही कम हैं। यह लगभग 10 लीटर जल में 1 मिली लीटर (कुल जल का 0.01%) के बराबर है। अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि हमारे उपयोंग के iलिए कितना कम जल उपलब्ध है तथा यह इतना महत्वपुर्ण क्यों हैं?
--------बिनु पानी सब सून--------
बहुत ही सुन्दर तथा जानकारीपूर्ण पोस्ट!
जवाब देंहटाएंहिमखंड पीने का पानी के सबसे बड़े स्रोत हैं क्योंकि इन्हीं का पानी हमें नदियों के स्वच्छ जल के रूप में मिलता है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण आज हिमखंड तेजी के साथ पिघल पिघल कर नष्ट होते जा रहे हैं। हिमखंडों का इस प्रकार से नष्ट होना कहीं हमारे विनाश का कारण न बन जाये।
"बाजार वाद ने यह पाप भी करा डाला, पानी पिलाना जहाँ बहुत बड़ा पुण्य का कार्य समझा जाता था वहां हमने कभी सोचा भी नही था कि पानी भी खरीदना पड़ेगा "
जवाब देंहटाएंPate kee baat kah dalee !
गुरु जी
जवाब देंहटाएंछा जाते हो
अपन को पसन्द आया आपका आलेख
सादर
गर्मीं में इन आलेखों की सख्त ज़रूरते हैं. हमारे उपयोंग के iलिए कितना कम जल उपलब्ध है
जवाब देंहटाएंये सही कहा अब तो चेहरों पर भी नही रहा पानीदार चेहरे कहां मिलते हैं कुछेक कह रहें थे कि अब पानी फ़ेरने के लिये भी कहां मिलता है.?
आज के परिपेक्ष्य में एक बहुत आवश्यक और जनसंदेश देती पोस्ट के लिये धन्यवाद
जवाब देंहटाएंकृप्या यह पंक्ति ठीक करें
महासागरों के जल मे कई लवण घुले होते हैं, इसलिए वह खारा पानी पीने-नहाने, कपड़े धोने एवं सिंचाई के लिए उपयोगी होता है।
प्रणाम स्वीकार करें
जल आज के समय की सबसे जवलंत समस्या है. बहुत सार्थक और संदेश देती पोस्ट के लिये धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहुत ही महत्वपूर्ण विषय उठाया है...यहाँ मुंबई में झोपड़पट्टियों में रहने वाले लोग, पानी संकट से सालों भर जूझते हैं..बड़े बड़े ड्रम में दूर से पानी भर कर लाती हैं,महिलायें वो भी रात के एक बजे और बहुत ही गन्दा पानी. ये बुनियादी जरूरतें तो कम से कम सबको सबको उपलब्ध होनी चाहिए..
जवाब देंहटाएंbas ab ye din dekhne baaki h.
जवाब देंहटाएंaadmi ko aadmi se pani ke liye ladte dekhna.
बहुत ही सुन्दर तथा जानकारीपूर्ण पोस्ट!
जवाब देंहटाएंसही कहा , ललित जी । बूँद बूँद कीमती है।
जवाब देंहटाएंपानी सबसे कीमती खज़ाना है।
सुन्दर एवं जानकारी भरी पोस्ट,आभार.
जवाब देंहटाएंपानी की एक एक बूंद कीमती हैं
जवाब देंहटाएंजनता को जागरूक होने की जरुरत हैं
पानी को सोच समझ कर खर्च करना चाहिए और वर्षाजल का संचय करना चाहिए
ललित जी पानी का यह हाल अभी सिर्फ़ भारत ओर अफ़्रीकी देशो मै ही है, क्योकि यहां के लोग नदियो की कदर नही करते, ओर उन के पानी को दुषित करते है, पानी क्या हवा को भी हम दुषित करते है, जिस मै जनता के संग सरकार का भी हाथ काफ़ी मात्रा मै है.आप ने बहुत सुंदर लेख लिखा अगर व्कत रहते नही चेते तो......
जवाब देंहटाएं@ अंतर सोहिल जी,
जवाब देंहटाएं"नहीं" शब्द छुटने से अर्थ का अनर्थ हो रहा था।
ठीक कर दि्या है।
त्रुटि की ओर इशारा करने लिए आभार
जल ही जीवन है....ये जानते हुए भी पानी की बर्बादी करते रहते हैं...आंकड़ों के साथ जानकारी देने का शुक्रिया...जागरूकता ज़रूरी है..
जवाब देंहटाएंjagrukta
जवाब देंहटाएंजानकारीपूर्ण पोस्ट!
जवाब देंहटाएं