रुक जाना नहीं, तू कहीं हार के, कांटो पर चलके, मिलेंगे साए बहार के, ओSSS राही, ओSSSSराही,ओSSS राही, ओSSSSराही........... दूर कहीं से कोई गा रहा था।
यह गीत मु्झे प्रेरणा देता है, थकने नहीं देता,रुकने नहीं देता, निरंतर चलने की प्रेरणा देता है। रुक जाना जिन्दगी नहीं है,थक कर बैठ जाना जिन्दगी नहीं है।
निरंतर संघर्ष करना ही जिन्दगी है, बाधा दौड़ की तरह जीवन में न जाने कितनी बाधाएं खड़ी होती हैं उनसे पार होकर ही मंजिल तक पहुंचा जाता है तभी जिन्दगी का मजा है,
जब अपने आस-पास देखता हूं तो एक शख्स को ऐसा ही पाता हूँ, जिसने जीवन में लगातार संघर्ष किया है जिसके पूर्वजों ने माटी में से सोना निकालने की तकनीक विकसित की। उसे तपाकर कुंदन बनाया और फ़िर वह कुंदन किसी के माथे की शोभा बना।
यह गीत मु्झे प्रेरणा देता है, थकने नहीं देता,रुकने नहीं देता, निरंतर चलने की प्रेरणा देता है। रुक जाना जिन्दगी नहीं है,थक कर बैठ जाना जिन्दगी नहीं है।
निरंतर संघर्ष करना ही जिन्दगी है, बाधा दौड़ की तरह जीवन में न जाने कितनी बाधाएं खड़ी होती हैं उनसे पार होकर ही मंजिल तक पहुंचा जाता है तभी जिन्दगी का मजा है,
जब अपने आस-पास देखता हूं तो एक शख्स को ऐसा ही पाता हूँ, जिसने जीवन में लगातार संघर्ष किया है जिसके पूर्वजों ने माटी में से सोना निकालने की तकनीक विकसित की। उसे तपाकर कुंदन बनाया और फ़िर वह कुंदन किसी के माथे की शोभा बना।
ऐसी ही एक शख्सियत है जिसने जीवन में कभी कठिनाइयों से हारना नहीं सीखा। दुर्बलताओं के आगे कभी झुकना नहीं सीखा। अहर्निंश समाज की सेवा की, और विपत्तियों का डट कर मुकाबला कि्या और रुका नहीं सिर्फ़ चलते रहा चलते रहा और अभी तक चल रहा है, जिसे मैं मंजिल कह गया,
वास्तव में उसके लिए यह एक पड़ाव है, उसकी मंजिल तो कोसों दूर है, उसे अभी बहुत चलना है और चलना है, जमाने को बताना है कि मंजिल किसे कहते हैं और वहां तक कैसे पहुंचा जाता है। वह शख्स है राजकुमार सोनी, जिनका बिगुल अपना मोर्चा बांध चुका है ब्लाग जगत में भी।
वास्तव में उसके लिए यह एक पड़ाव है, उसकी मंजिल तो कोसों दूर है, उसे अभी बहुत चलना है और चलना है, जमाने को बताना है कि मंजिल किसे कहते हैं और वहां तक कैसे पहुंचा जाता है। वह शख्स है राजकुमार सोनी, जिनका बिगुल अपना मोर्चा बांध चुका है ब्लाग जगत में भी।
राजकुमार सोनी की पहली कृति "बिना शीर्षक" का विमोचन है। इसमें समूचा ब्लाग जगत आमंत्रित है। हमारे लिए यह खुशी का मौका है, आनंद का अवसर है और इस आनंदोत्सव में हम सम्पूर्ण ब्लाग जगत को भी शामिल करना चाहते हैं। आप सादर आमंत्रित हैं। कहते हैं न बिना अपने इष्ट मित्रों के खुशी कहां है, जब वे खुशी में खुश होकर शामिल होगें तभी खुशी है। तो मित्रों देर न हो जाए, इस खुशी के मौके पर आप अवश्य शामिल हों।
"बिना शीर्षक" का विमोचन 30 जुलाई 2010 दिन शु्क्रवार को सांय 4 बजे छत्तीसगढ विधानसभा के सांस्कृतिक सभागार में माननीय मुख्यमंत्री रमनसिंह जी के मुख्य आतिथ्य, विधानसभा अध्यक्ष माननीय धरमलाल कौशिक की अध्यक्षता, विशिष्ट अतिथि द्वय लोकनिर्माण मंत्री बृजमोहन अग्रवाल एवं विधानसभा सचिव देवेन्द्र वर्मा एवं विषय प्रवर्तक सुप्रसिद्ध साहित्यकार गिरीश पंकज जी के द्वारा होगा। प्रमुख वक्ता के रुप में हरिभूमि के प्रबंध सम्पादक हिमांशु द्विवेदी उपस्थित रहेगें। आभार प्रदर्शन वैभव प्रकाशन के प्रमुख डॉ सुधीर शर्मा करेगें। यह गरिमामय कार्यक्रम सांय 4 बजे से 6 बजे तक चलेगा।
इस कार्यक्रम में आप उपस्थित होकर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें। आपके आगमन से हमारा उत्साह बढेगा। चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना, कभी अलविदा न कहना कभी अलविदा न कहना, चलते चलतेSSS
राजकुमार जी को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंवाह वाह !! ये तो बहुत बढ़िया खबर दी है , हम आ तो नहीं सकते शिकागो से ..उडेंगे भी तो लेट हो जायेंगे :) मेरी और से राजकुमार जी को बधाई दें और बहुत बहुत शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंएक प्रति जल्दी से भेज दें शिकागो भी !!
वाह क्या बात है। सोनी जी कोमुबारक वहीं जाकर देते हैं।
जवाब देंहटाएंआप सभी को बधाइयाँ । राजकुमार जी से कॉफ़ी हाऊस में भेंट हुई थी , यह खबर बताने में कंजूसी कर गए ।मशाला दोसा भी अकेले ही खा गए ।
जवाब देंहटाएंअब नहीं छोडा जाएगा उन्हें । पुनः बधाइयाँ । - आशुतोष मिश्र
आशु्तोष भाई
जवाब देंहटाएंमुझे भी आज ही पता चला
परसों तो यों ही बरसात में भीगते फ़िरे
कवि सम्मेलन की वाट लग गयी।
सारे कवि शुट (हूट)हो गए।
सोनी जी को ढेरों बधाइयाँ एवम शुभकामनायें ।
जवाब देंहटाएंहम तो आयेंगे ही विमोचन में! वादा रहा।
जवाब देंहटाएंबहुत ही ख़ुशी की खबर है...... राजकुमार सोनी जी को बहुत-बहुत बधाइयाँ! और यह खुशखबरी हम तक पहुँचाने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंराजकुमार जी को बधाई.......
जवाब देंहटाएंपुस्तक लिखी है शीर्षक के बिना ,
जवाब देंहटाएंविमोचन न हो रमण-कौशिक के बिना .
चले आना आमंत्रण के बिना .
लौट आना चाय पान के बिना .
पर रामजी चले ना हनुमान के बिना
राजकुमार सोनी जी को बहुत-बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें और यह खुशखबरी हम तक पहुँचाने के लिए आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंRajkumar ji ko dheron badhai aur shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंराजकुमार जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई ....
जवाब देंहटाएंअशोक भैया,
जवाब देंहटाएंजरुर आएंगे लेकिन चाय पान के बिना नहीं जाएंगे।
हा हा हा।
साहित्य में बिना शीर्षक बिगुल बजाने के लिए राज कुमार भाई को बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
राजकुमार जी को बहुत बधाई ...!
जवाब देंहटाएंसाहित्य में बिना शीर्षक बिगुल बजाने के लिए राज कुमार भाई को बहुत बहुत बधाई..
जवाब देंहटाएंश्री राजकुमार जी को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंरामराम.
...badhaai ... badhaai ... "apna morchaa" ke liye bhee badhaai !!!
जवाब देंहटाएंkal to main manch par badhai doongaa, aaj yahaan bhi de doo. badhai jitani dee jaye, kam hai.
जवाब देंहटाएंbahut bahut badhaai
जवाब देंहटाएंराजकुमार जी को बहुत बहुत बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ और अभी फ़ोन पर भी देते हैं बधाई...
जवाब देंहटाएंहमारी भी बधाई स्वीकार करें राजकुमार जी। हम अभी पहुँच तो नहीं पा रहे हैं, कभी संयोग जुटे तो भेंट करके भी बधाई देंगे।
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